golden quotes in hindi/अनंग पाल सिंह ‘अनंग’

(golden quotes in hindi)

अनंग पाल सिंह ‘अनंग’ के प्रेरक विचार 

१. 

आत्मतत्व के अति निकट,श्रद्धा का परिधान
इसके   ऊपर   शुद्धता, वा   विश्वास   विधान
वा   विश्वास विधान, आदमी है श्रद्धा    मय ।
जैसी    श्रद्धा     होय, बने    वह वैसा ही, तय ।।
कह’अनंग’करजोरि, यहीं पर तत्व, सत्व के ।
सत्य लक्ष्य की प्राप्ति,निकट है आत्मतत्व के।।

 २.
उपासना    के   खेत में, श्रद्धा पैदा होय ।
आत्मप्रगति व्यायाम ये,जिसने लिया संजोय।।
जिसने लिया संजोय, प्रेम, श्रद्धा उपजाता ।
फिर आता विश्वास, उच्चता शिखर चढ़ाता ।।
कह’अनंग’करजोरि,निकल खुद जाय वासना।
देती हमें मिलाय, श्रेष्ठता से उपासना ।।

३.
 पूजा,जप तप आदि का, ही विकास है योग ।
परम श्रेष्ठता के निकट, दे पहुंचाय सुयोग ।।
दे पहुंचाय सुयोग,ध्यान,चिंतन का यह क्रम 
योग साधना तत्व, सत्य का बड़ा पराक्रम ।।
कह’अनंग’ करजोरि, रास्ता और न दूजा ।
शरणागति,एकत्व, दिलाए जप,तप, पूजा ।।

४.
घुल जाए जब तुच्छता,अति महान के घोल ।
अहंकार, संकीर्णता, बिक जाए बिन मोल ।।
बिक जाए बिन मोल, समर्पण भाव यही है ।
इच्छा दो बिखराय, भावना पंथ सही है ।।
कह’अनंग’करजोरि, अहंता जब धुल जाए ।
तब महान के घोल, तुच्छता सब घुल जाए।।

५.
तपसे भी सकते सभी,आत्मशक्ति विकसाय 
श्रद्धा वा सद्भावना , संवेदना जगाय ।।
संवेदना जगाय, होय परमार्थ परायण ।
आदर्शों के हेतु, स्वयं हो जाय समर्पण ।।
कह’अनंग’करजोरि, मनन, चिंतन वा जप से
होता आत्मविकास, साधना मिश्रित तप से।।

६.
जबतक अपनापन नहीं, अच्छा – बुरा कहाय ।
रहे नहीं अच्छा – बुरा, जब अपना हो जाय ।।
जब अपना हो जाय, हृदय अपनत्व उमड़ता ।
फिर अंतर मन माहिं,प्यार का ज्वार घुमड़ता।।
कह’अनंग’करजोरि,दोष नहिं दिखते तबतक ।
अपना पन अपनत्व, परस्पर रहता जबतक ।।

७.
 ईश्वर ने हमको दिया, यह तन रूपी तंत्र ।
समुचित,अगणित शक्तियों,से निर्मित यहयंत्र।।
से निर्मित यह यंत्र , तपा, शुभ तत्व उभारो ।
आत्मशक्ति सम्पन्न, बनो, शुभता उर धारो ।।
कह’अनंग’ करजोरि, दुष्टता मिटती तपकर ।
परिशोधन तप अग्नि, मिले तप करके ईश्वर ।।

८.
चेतन में उत्कृष्टता, का उपक्रम है योग
आदर्शों में रस जगे, यह तप का संयोग ।।
यह तप का संयोग, योग, तप दो धाराएं ।
         जब दोनों मिलजायं,शक्ति अतिशय उपजाएं।।
       कह’अनंग’करजोरि,जगे जब यह सब मन में ।
उत्कृष्टता विकास, प्रकट होता जीवन में ।।

९.
आदर्शों के लिए जो, सहते कष्ट तमाम ।
रह जाते हैं जगत में, बस उनके ही नाम ।।
बस उनके ही नाम, सुमन श्रद्धा के चढ़ते ।
जो जगहित सिद्धांत,पंथ दुनियां में गढ़ते।।
कह’अनंग’करजोरि,कथानक उत्कर्षों के ।
लिखे गए अध्याय, जगत में आदर्शों के ।।

अनंग पाल सिंह ‘अनंग’


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