hausala badhaane vaalee prerak kavita – हौसला

hausala badhaane vaalee prerak kavita -हिंदी रचनाकार पर हौसला बढ़ाने वाली प्रेरक कविता कल्पना अवस्थी की कलम से हिन्दुस्तान के पाठकों के लिए प्रस्तुत है।

हौसला


रख हौसला गिर कर फिर से चलने का

कर हौसला नया कुछ बदलने का

चलते चलते कई बार गिरना होगा

गिर कर उठना उठकर संभलना होगा।

जब तक हौसला बरकरार है

कोई हरा नहीं सकता

जिस ने छोड़ दिया हौसला

वो जीत का झंडा फहरा नहीं सकता

दिखा दो दुनिया को

अपनी सफलता की कहानी

भले थके पैर भरी आंखों में पानी

लोगों की सोच मोम सी पिघलती है

सफलता के साथ ही यह दुनिया चलती है

उन्हें जीत कर दिखाओ

जो हारने का इंतजार करें

ऐसे ही लोग हौसले की

चिंगारी मन में है भरे

दौड़ते रहो भले पैरों में पड़ जाए छाले

नहीं पाते मंजिल रास्ते में रुकने वाले

भले कोई साथ ना दे हाथों में हाथ ना दे

अकेले ही लड़ने का हौसला रखो

बेमतलब की बातें व लोगों से फासला रखो

ऐसे लोग सिर्फ मनोबल गिरातेे हैै

करके दिखाने पर यकीन रखना होगा

सिर पर आसमान

पैरों के नीचे जमीन रखना होगा

हौसले के बल पर जीत के दिखाओ दुनिया

लोग सलाम करें

‘कल्पना’याद करें लोग ऐसा कुछ काम करें

अब डर मत नया उत्साह भरना होगा

गिर कर उठना उठकर चलना होगा।

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कल्पना अवस्थी

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