hindi kavita on holi/पवन शर्मा परमार्थी
hindi kavita on holi
हर्षोल्लास होली पर
लेकर हर्षोल्लास वसन्त में होली आई,
बच्चे, बूढ़े, जवां, दिलों पर रंगत छाई।
ठट्ठा करते, खेलें होली भर पिचकारी,
सब ही जगह पर मिलकर सबने धूम मचाई।
भाभी ने देवर को ज्यों ही आते देखा,
कुछ इठलाई, कुछ इतराई, कुछ शरमाई।
हल्ला करके लोग मूर्ख सम्मेलन करते,
हँसकर करें मजाक न देखें चाची, ताई।
रंग, गूलाल की कमी नहीं कोई फिर भी,
ले गारा कीच, खींच सबने थाप जमाई।
इक नार को थामे देखा हाथ में डण्डा,
विधुर, कुँवारे ब्याहे सबने दौड़ लगाई ।
वैमनस्य न पालो भैया कोई भी मन में,
सब मिलके खाओ खीर, पूड़ी और मिठाई ।
रंग गया तन-मन मेरा भी होली रंग में,
साथी बोले–“कैसे हो परमार्थी भाई ?”
पवन शर्मा परमार्थी
कवि-लेखक
9911466020
दिल्ली, भारत ।
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