स्व गोपाल दास नीरज कवि पर आधारित अष्ट दोहे
गोपाल दास नीरज जी को
भावांजलि ।।
स्व गोपाल दास नीरज कवि पर आधारित अष्ट दोहे
नीरज-नीरज ही रहे ,
सदा पंक से दूर ।
मधुरिम गीतों की महक,
पहुंची दूर सुदूर ।।
गीतों के सम्राट की ,
साहित्य सिनेमा धूम ।
नीरज कवि तुम धन्य हो ,
कलियां कहती झूम ।।
गीत तुम्हारे युगों तक ,
देंगे यह सन्देश ।
मानवता की आरती ,
गूंजे देश — विदेश ।।
मधुर गीत – कविता सरित ,
नीरज — पाती भाय ।
धन्य – धन्य नीरज सुकवि ,
दिग – दिगंत तुम छाय ।।
सदा प्रेम के गीत लिख ,
पद्म श्री कहलाय ।
पद्म विभूषण यश – भारती ,
जन – जन अति हर्षाए ।।
अमर हो गए सुकवि तुम ,
स्मरण करेंगे लोग ।
संस्कार यश कीर्ति से ,
ऊर्जित हैं सब लोग ।।
हॄदय – शूल है चुभ रहा ,
खालीपन – घबराए ।
हॄदयासन आसीन हो ,
शक्ति हमें मिल जाए ।।
नीरज , तुम आकाश में ,
ध्रुव समान नक्षत्र ।
प्रेरित होंगी पीढ़ियां ,
पथिक, यंत्र -तत्र – सर्वत्र ।।
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