रानी का बलिदान । laxmi bai death anniversary kavita

रानी का बलिदान । laxmi bai death anniversary kavita  

लक्ष्मी बाई का  निधन  १८ जून १८५८  को हुआ।  लक्ष्मी बाई की पुण्यतिथि  पर साहित्यकार सीताराम चौहान पथिक द्वारा रचित कविता रानी का बलिदान  नारी शक्ति को समर्पित की है , युगों-युगों तक स्मरण रहेगा। इतिहास तुम्हारा सदा ऋणी …. शब्दों को उतारा है  प्रस्तुत  रचना में।

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रानी का बलिदान ।


लक्ष्मी बाई बलिदान तुम्हारा ,
युगों-युगों तक स्मरण रहेगा।
इतिहास तुम्हारा सदा ऋणी ,
भारत-मस्तक सर्वोच्च रहेगा

बुंदेले  हरबोलो के मुख ,
शौर्य- गान जन-जन बोलेगा ।
जय-जय जय झांसी  की रानी
स्वाभिमान गद-गद डोलेगा ।

रानी तुम्हारी यश- गाथा ,
स्वर्णाक्षरों में शोभायमान ।
अनुप्राणित हम भारतवासी,
नहीं मिटने देंगे स्वाभिमान ।

अंग्रज़ो की जब अगणित सेना  ,
लख रौद्र रूप थर थर कांपी ।
हे रण-चंडी – – रुद्रावतार ,
अरि- सेना भाग-भाग हांपी  ।

नारी-रूप साक्षात् दुर्गा ,
अश्वारोही भारत की शान ।
युगों-युगों तक कीर्ति तुम्हारी ,
अति निर्बल में फूंकेगी  प्राण ।

रानी, बलिदान-दिवस तुम्हारा
ध्रुव तारा बन कर चमकेगा ।
सदा ऋणी रहेगे  भारतवासी ,
अदम्य साहस उनमें झलकेगा

देश – द्रोह की चिंगारी  से ,
झुलसी भारत मां पुकारती ।
लक्ष्मी बाई- रण चंडी आओ ,
देखो पथिक, माता कराहती ।


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सीताराम चौहान पथिक
नई दिल्ली

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