Nirala Poem /सीताराम चौहान पथिक
निराला की पुण्यतिधि पर सीताराम चौहान पथिक के द्वारा रचित कुछ पंक्तियां महाकवि को समर्पित है।
“दुःख ही जीवन की कथा रही,
क्या कहूं आज, जो नहीं कही”
सरोज -स्मॄति से साभार
निराला को भावांजलि
(Nirala Poem)
हे महाप्राण – हे स्वाभिमान ,
साहित्य- आकाश निराला ।
सरोज- स्मृति के जनक ,
अभावों की पीते नित हाला ।
हे महाप्राण – हे सूर्यकांत ,
त्रिपाठी तुम-उपनाम निराला।
रच कर- राम की शक्ति-पूजा,
सुललित शब्द जय – माला ।
हे महाप्राण हे प्रयाग – पुंज ,
तोड़ती पत्थर -सडक पर ज्वाला ।
फक्कड़ स्वभाव है दीन-सखा
चतुर्थ स्तम्भ , साहित्य – निराला ।
तुम्हे समर्पित भाव – सुमन ,
पी- पथिक, अभाव की हाला
जय-जय-जय साहित्य वीर ,
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला।।
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