Saraswati Vandana-सरस्वती वन्दना/सीताराम चौहान पथिक

Saraswati Vandana-सरस्वती वन्दना/सीताराम चौहान पथिक

सरस्वती- वन्दना ।

शुभ्र ज्योत्स्ना ज्ञानमयी मां ,
स्नेह प्रेम सद्बुद्धि प्रदाता ।
विश्व तॄषित चातक समान यह
स्वाति – बूंद बरसा दो माता।

तार हॄदय के झंकृत  कर दो ,
प्रेम हॄदय में भर दो माता ।
वीणा – वादिनि ऐसा वर दो ,
रोम- रोम रस हो बरसाता ।

सप्त – सुरों से पावन कर दो ,
मां – शारदे , तन मन मेरा ।
करूं सदा परमार्थ जगत में ,
ऋषि दधीचि सा जीवन मेरा ।

शुभ्र कमल हे हंस  – वाहिनी,
जन जन को सन्मार्ग दिखाओ
मोह – माया में डूबा है जंग ,
राष्ट्र – प्रेम की राह दिखाओ ।

मां सरस्वती — मां वासंती ,
संतानों में संस्कृति भर दो ।
दुर्व्यसनो के चक्रव्यूह को ,
भेद सकें , कुछ ऐसा वर दो।

मन – मन्दिर पावन हो मेरा ,
जीवन जन्म-भूमि को अर्पित
मां – सरस्वती के चरणों में ,
भाव पथिक के सदा समर्पित

आपको Saraswati Vandana-सरस्वती वन्दना/सीताराम चौहान पथिक की स्वरचित रचना  कैसी लगी अपने सुझाव कमेंट बॉक्स में अवश्य बतायें , पसंद आये तो समाजिक मंचो पर शेयर करे इससे रचनाकार का उत्साह बढ़ता है।हिंदीरचनाकर पर अपनी रचना भेजने के लिए व्हाट्सएप्प नंबर 91 94540 02444, 9621313609 संपर्क कर कर सकते है। ईमेल के द्वारा रचना भेजने के लिए  help@hindirachnakar.in सम्पर्क कर सकते है|

अन्य रचना पढ़े :

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *