राष्ट्रभाषा हिंदी की हमारे देश में क्या स्थिति है – सीमा श्रीवास्तव
राष्ट्रभाषा हिंदी की हमारे देश में क्या स्थिति है – सीमा श्रीवास्तव
विश्व में बहुत से देश है और सभी देशों में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है, भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहां की मूल भाषा हिंदी तो है, किंतु धर्मनिरपेक्षता और अलग-अलग क्षेत्र होने के कारण अलग-अलग भाषाएं भी बोली जाती है, भारत की मुख्य विशेषता यह है कि यहां पर अनेकता में एकता है, जहां हिंदी के साथ साथ तमिल, मराठी, भोजपुरी, पंजाबी, उड़िया, मलयालम, बांग्ला इत्यादि भाषाएं भी बोली जाती है। किसी भी राष्ट्र की पहचान उसके भाषा और उसके संस्कृति से होती है और पूरे विश्व में हर देश की एक अपनी भाषा और अपनी एक संस्कृति है, जिसकी छांव में उस देश के लोग पले बढ़े होते हैं, यदि कोई देश अपनी मूल भाषा छोड़ दूसरे की भाषा में आश्रित होता है, तो उसे सांस्कृतिक रूप से गुलाम कहते हैं।
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हमारे देश की मूल भाषा हिंदी है किंतु अंग्रेजों की गुलामी के बाद से ही उन्होंने न सिर्फ हमारे देश में शासन किया बल्कि अंग्रेजी ने हमारी भाषा हिंदी पर अपना पूरा अधिपत्य जमा लिया। भारत देश को आजाद हो गया, लेकिन हिंदी भाषा पर अंग्रेजी भाषा का आज भी अधिपत्य कायम है। अक्सर अपने देश के लोगों के मुंँह से यह सुनते हुए पाया गया है कि हमारी हिंदी थोड़ी कमजोर है, इसके कहने का मतलब साफ़-साफ़ समझ आता है कि उनकी अंग्रेजी हिंदी के मुताबिक ज्यादा अच्छी है और यदि कोई भूल से भी कह दे कि हमारी अंग्रेजी थोड़ी सी कमजो़र है, तो लोग उसे कम पढ़ा-लिखा समझते हैं। क्या यह सही है कि किसी भाषा पर हमारी पकड़ अच्छी नहीं है, तो हम उसे अनपढ़ मान लेंगे। किंतु हमारे देश के आज यही विडंबना है।
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हिंदी के महत्व को समझते हुए प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी दिवस एक ऐसा अवसर होता है, जिसके माध्यम से सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बांँधा जा सकता हैै। सरकार के आदेश से सरकारी विभागों में एवं कुछ एक संस्थाओं तथा विद्यालयों में हिंदी दिवस तो मना लिया जाता है किंतु आज जरूरत है हिंदी को अपनाने की। प्रायः यह देखा गया है कि प्राइमरी एवं जूनियर कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को उनसठ, उनहत्तर या उन्न्यासी जैसे शब्द अंग्रेजी में समझाने पढ़ते हैं, ऐसे में जरूरत है कि सरकार द्वारा पूरे देश में हिंदी अनिवार्य करते हुए सरकारी वेबसाइटों एवं ऐसी सभी सरकारी पोर्टल पर हिंदी शब्दों का प्रयोग किया जाए जिसका दैनिक जीवन में आमतौर पर प्रतिदिन प्रयोग होता है, तभी हिंदी का महत्व बढ़ेगा।