लिव -इन -रिलेशनशिप का रियेलटी चेक | तुम यौवन का प्यार न बेचो हिंदी गीत | नरेंद्र सिंह बघेल

लिव -इन -रिलेशनशिप का रियेलटी चेक | हिंदी गीत | नरेंद्र सिंह बघेल

तुम यौवन का प्यार न बेचो

तुम यौवन का प्यार न बेचो ।
सावन के श्रंगार न बेचो ।।
रोये तड़पे छवी किसी की ,
जुड़ते-कटते बंधन सारे ।
कितनी रिश्तों की परिभाषाएं ,
ढ़ूँढ़ रहीं कुछ सपने प्यारे ।
इन सपनों को छोड़ अधूरे ,
चंचल तरुणी प्यार न बेचो ।।
तुम यौवन का —-
कितने सपने लेकर कोई ,
तेरी राहें देख रहा है ।
उठते हुए गुबारों पर भी ,
कोई अपने देख रहा है ।
तोड़ोगी क्या ? प्राची बंन्धन,
उनका सुर श्रंगार न बेचो ।।
तुम यौवन का ——
माँ की ममता सदा कहेगी ,
कहाँ गयी मन की अभिलाषा ।
कभी न पूरी हो पायेगी ,
बरसों पहले जागी आशा ।
सिसक- सिसक कर दम तोड़ेगी ,
तुम करुणा संसार न बेचो ।।
तुम यौवन का ——-
रेत के हैं नगर सारे ,
क्या ? कभी ये प्राण लेंगे ।
शुष्क हैं सब पथ कटीले ,
ये नहीं सम्मान लेंगे ।
आँधियों में मिट रहेगा ,
कुछ क्षण का व्यापार न बेचो।
तुम यौवन का ——
बस तभी तुम जान लोगी ,
ख्वाब था सब कुछ सुनहरा ।
चंद घड़ियाँ बीत जाएं ,
तब हटेगा जग का पहरा ।
सबको साथ न लेता कोई ,
अपना यह संसार न बेचो ।।
तुम यौवन का —–
ये कोई माया नहीं है ,
जो तुम्हें सम्मान देगी ।
बन के व्याधि घुस हृदय में,
सिर्फ तेरी जान लेगी ।
मिल रहेगा ख़ाक में सब ,
इसलिए कुछ आज सोचो ।।
तुम यौवन का —–
खुद से अलग हुयीं सपनों की ,
जीवन की वो घड़ियाँ प्यारी ।
बस कोई अब साथ रहा ना ,
जीवन सहर खतम अब सारी ।
इसलिए कहता हूँ — रे मन !
कुछ पल ठहरो कुछ तो सोचो ।।
तुम यौवन का प्यार न बेचो ।
सावन का श्रंगार न बेचो ।।
– नरेन्द्र

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