तुम्हारा प्यार ही तो है | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश

तुम्हारा प्यार ही तो है | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश

तुम्हारा प्यार ही तो है,
जो माधव बनकर आया है,
बिखेरो स्नेह की खुशबू,
सन्देशा सबको लाया है।टेक।

नहीं शिकवे-गिले कोई,
चॉदनी चॉद में खोई ,
किसे चिन्ता नवोढ़ा की,
जो प्रियतम के लिए रोई।
उन्हीं सुधियों के झुरमुट ने,
नवल आकार पाया है,
तुम्हारा प्यार ही तो है,
जो माधव बनकर आया है।1।

महकती बाग की कलिका,
मचलती रूप की मलिका,
बरसतीं स्नेह की बूॅदें-
न हो खाली कहीं लतिका।
बहारों की ही मर्जी से,
यहॉ मधुमास छाया है।
तुम्हारा प्यार ही तो है,
माधव बनकर आया है।2।

फहरे चूनर तेरी धानी,
छुप-छुप झॉके तरुण जवानी,
फसलों का गदराया यौवन,
होंठों की अनकही कहानी।
मत पूछो इस मन पागल ने
कितने स्वप्न सजाया है।
तुम्हारा प्यार ही तो है,
जो माधव बनकर आया है।3।

हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश’,
रायबरेली (उ प्र) 229010
9415955693

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