बारिश पर बाल कविता | Varsha ritu par kavita
बारिश पर बाल कविता | Varsha ritu par kavita
बरखा रानी ,बरखा रानी।
बरखा रानी , बरखा रानी ,
उमड़-घुमड़ कर बरसो पानी ।।
सूखी ताल-तलैया देखो ,
हॉफ रही यह गैया देखो ।
फसलों का चेहरा मुरझाया-
ढूँढे छॉव चिरैया देखो ।
किस-किस की मैं कहूँ कहानी ।
बरखा रानी , बरखा रानी ।1।
बूँदों की जब टप-टप सुनते ,
टर्र – टर्र तब मेढ़क करते ।
फिर कागज की कश्ती लेकर-
जी भरकर हम मस्ती करते।
नहीं फिसलना कहतीं नानी ।
बरखा रानी ,बरखा रानी ।2।
सूखे,मुरझे फूल खिलेंगे ,
कीचड़ बनकर धूल मिलेंगे ।
हवा बहेगी सुखद सुहानी –
हरे-भरे हर कूल मिलेंगे ।
चूनर मॉ की फहरे धानी ।
बरखा रानी ,बरखा रानी ।3।
रंग-बिरंगे बादल उड़ते।
टप-टप,टप-टप बरसे पानी,
मन मेरा ललचाता है ।1।
मम्मी कह दे मैं भी जाऊॅ-
बाबू मुझे बुलाता है ।।2।
टर्र-टर्र कर मेढ़क उछले,
बगुला स्वॉग रचाता है ।3।
कागज की तू नाव बना दे ,
जैसे बोस चलाता है ।4।
कहॉ गरजता बादल देखूॅ,
इन्द्रधनुष बन जाता है।5।
देख कड़कती बिजली मम्मी,
मन मेरा डर जाता है।6।
रंग – बिरंगे बादल उड़ते ,
आसमान भर जाता है।7।
हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’
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