आओ जी करके देखें वतन के लिए / राजेन्द्र वर्मा’ राज’

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आओ जी करके देखें वतन के लिए

जी लिए हम बहुत अपने -अपने लिए।
आओ जी करके देखें वतन के लिए।।

ये गुलाबों की सुर्ख़ी लहू उनका है।
जान दी है जिन्होंने चमन के लिए।।
माँगना है अगर काशी काबे में कुछ।
माँग लेना दुआएं अमन के लिए।।

कितने लोगों को ‘भारत ‘रत्न  मिल गया ।
देश तरसा किया इक रतन के लिए।।

देश के दुश्मनों अब सँभल जाओ तुम ।
चल पड़े हम तुम्हारे दमन के लिए।।

इतना ऊँचा उठा दो तिरंगे को तुम ।
हो कठिन जो चुनौती गगन के लिए।।

हँसते -हँसते जिन्होंने दी कुर्बानियां।
सर झुकाता हूँ उनको नमन के लिए।।

आरज़ू है तो बस मेरे मालिक यही ।
‘राज ‘भी काम आए वतन के लिए।।

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राजेन्द्र वर्मा’ राज’
रायबरेली ( यू पी)

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