corona jagrukta par kavita- कोरोना – संकट

corona jagrukta par kavita

कोरोना-संकट 


कीटाणु- बम विस्फोट हुआ
कोरोना विषाणु का जन्म हुआ ।
संक्रामक  और दुष्ट कीट ने ,
जग के कोने- कोने को छुआ।

अखिल विश्व में त्राहि त्राहि ,
निर्मम रौद्र रूप अपनाया ।
शांत  और अघौषित रण में ,
लाशों का अंबार लगाया ।

कोरोना से बचाव के हेतु ,
जन – जन पर प्रतिबंध लगे ।
चिर लाॅकडाउन सामाजिक दूरी ,
कर्फ्यू – रात्रि प्रतिबंध लगे ।

एक वर्ष बीतने पर कुछ ,
थोड़ा थोड़ा थमता दीखे ।
इंजैक्शन – वैक्सीन प्रायोगिक ,
ब्रह्मास्त्र वरदान सरीखे ।।

दैनिक मजदूर क्षुद्र व्यापारी ,
सरकारी काम अधर में लटके ।
अर्थ – व्यवस्था चौपट हो गई ,
अस्पताल में रोगी भटके ।।

धीरे धीरे स्थिति सुधरी दीखे ,
जीवन सामान्य सा लगता है
संकट  की घड़ियां बीती ज्यों
अंतिम विदाई सा लगता है।

फिर भी सचेत रहना भाइयो,
आक्रमण अचानक कर सकता है ।
सदा स्वच्छ और मास्क लगाओ ,
सामाजिक दूरी कोरोना मरता है ।

सावधानी का मूल मंत्र है ,
सरकारी आदेशों का पालन ।
स्वस्थ और नीरोग रहोगे ,
पथिक- स्वयं पर हो अनुशासन ।।


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