होली पर लिखी कविता | Holi kavita poem 2021
होली पर लिखी कविता | Holi kavita poem 2021
पावन होली के सुअवसर पर, ढेरों शुभ कामनाओं के साथ, होली से सम्बंधित कुछ भाव सुमन सस्नेह समीक्षार्थ निम्नवत् प्रस्तुत हैं:–
होली पर लिखी कविता
स्नेह पूर्ण भावना हो,सबका विकास हो,
योग,क्षेम,शुचि हृदय,करूणा निवास हो ।।
भेदभाव त्याग बढें ,नित सृजन सुपंथ पर-
सराबोर रस अंग ,रंग पूर्ण मधुमास हो ।1।
तृप्ति की न चाह हो, न अधर पर प्यास हो,
खिलखिलाते उर सुमन,न कोई उदास हो ।
मीत चलो साथ मगर, ध्यान यह रहे-
जिन्दगी की राह में , स्नेह की सुबास हो ।2।
ऊँच-नीच व छुआछूत का,भेद मिदाती होली है ,
फागुन में बौराए मन की ,प्यास बुझाती होली है ।
मस्त मदन की तरुणाई में,खुल कर सिहरन भरती-
माधव मन के अंग-अंग में,रंग लगाती होली है ।3।
राह देखते नयन थके ये ,आ जाओ अब होली में,
भुजपाशों में तुम्हें बॉध लूॅ ,फिर इतराऊॅ होली में।
नहीं जानती दुनिया पागल,दर्द मेरी तरुणाई का-
हाल जवानी का क्या होता, तुम्हें बताऊॅ होली में ।4।
(2 )
प्रकृति का रूप अति निर्मल,
परम पावन सुहावन हे ।
मनुज -मन सोचता पल-पल,
अगम दुर्गम पुरातन है।
बढ़ेंगे पग सजग जितने,
लिये सद्कर्म की लाठी-
बन कर लक्ष्य शुचि अनुपम,
सहज मिलता लुभावन है।
हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’
रायबरेली (उ प्र)
9415955693, 9125908549
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