झम- झम बरसा पानी | वर्ण – माला गीत / सीताराम चौहान पथिक
झम- झम बरसा पानी | वर्ण – माला गीत / सीताराम चौहान पथिक
बाल- गीत
झम- झम बरसा पानी
छम- छम गिरता पानी ,
खूब नहाती रानी ।
ना- ना करती नानी ,
झम-झम बरसा पानी ।।
बच्चे घर से भागे ,
रमिया छमिया आगे ।
मोटे पतले दौड़े ,
बीच सड़क पर चौड़े ।।
बरसो धूम – धड़ाके ,
गरमी दुम दबा के ।
खूब गिरेगा पानी ,
याद आएगी नानी ।।
बाबा थामे छाता ,
बादल शोर मचाता ।
काले- काले बादल ,
नीले – पीले बादल ।।
बच्चो खूब नहा लो ,
गरमी दूर भगा लो ।
दक्षा सिद्धू आदी ,
आयू करें मुनादी ।।
सब चौकस हो जाओ ,
घर में सब छिप जाओ ।
अब कडकेगी बिजली ,
घर में खाओ इडली ।।
टर- टर करते मेढ़क
करें कलेजा धक -धक ।
बच्चों गाओ गाना ,
डर को दूर भगाना ।।
खेतों में हरियाली ,
होगी अब खुशहाली ।
मुख पर नाचे लाली ,
रहेगी ना बदहाली ।।
बच्चो खूब मचाओ शोर ,
मेह बरसेगा जोरम – जोर ।
घर में होगे दाने
सभी गाएंगे गाने ।।
वर्ण – माला गीत
अ से अनार और ,
आ से आम ।
सभी बड़ो को ,
करो – – प्रणाम ।।
इ से इमली ,
ई से ईख ।
मेहनत – – करो ,
ना मांगो भीख ।।
उ से उल्लू ,
ऊ से ऊंट ।
जीवन – – – है ,
सुख – दुःख के घूंट ।।
ए – – – से एकता ,
ऐ – – – से ऐनक ।
भागा – – दुश्मन ,
देख के सैनिक ।।
ओ – – से ओखली ,
औ – – से औरत ।
भले काम – – – से ,
मिलती – – – शौहरत ।।
अं से अंगूर ,
अः है विसर्ग ।
बच्चो बनाओ ,
देश को स्वर्ग ।।
सीताराम चौहान पथिक
दिल्ली 35
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