kaun thai ve log /कौन थे वे लोग-सीताराम चौहान पथिक
कौन थे वे लोग ॽ
भेड़िए की खाल में आए
भारत की अस्मिता को रौंद
कर चले गए ।
कौन थे वे लोग ॽ
सीधा- सच्चा- सरल किसान
खेती पर जिसका सारा ध्यान
राजनीति का अल्प- ज्ञान ,
साहूकारो- जमींदारों के शोषण से मुक्त ।
गोदान के होरी – धनिया सा
विवश नहीं है किसान ।
गणतंत्र – भारत ने लौटाया है
उसका खोया स्वाभिमान ।
किन्तु यह तथाकथित किसान
नेता ॽ
उसकी खाल ओढ़ कर
राजनीति कर छल रहे है
लोगों को ।
किसान को नहीं पता —
तीन कानून क्या है ॽ
उसे तो खेतों के लिए बिजली पानी
खाद और ऋण आसानी से बैंक दे ही देता है।
किसानो के नाम पर
सरकार से मोटा मुनाफा
हथियाने में सिद्ध- हस्त
राजनेता और जमींदार दो महीनों से ,
राजधानी की सीमाओं पर डटे हैं ।
अनगिनत पैसा इनके
रख-रखाव पर खर्च हुआ है ।
शान्ति के नाम पर इनके
भड़काऊ भाषणों से प्रेरित ,
कुछ सिरफिरो की भीड़ ने
लाल किले के अंदर
तोड़- फोड़ की ।
किले की प्राचीर पर चढ़ कर
तीन गुम्बदो को क्षति पहुंचाई
राष्ट्रीय- अस्मिता के प्रतीक
लालकिले की आन-बान-शान को
राहु – केतु ने ग्रस लिया ।
राष्ट्रीय- ध्वज तिरंगे के
समानांतर अपने धर्म का ध्वज फहरा दिया ।
आखिर विश्व में भारत की प्रभुता को ठेस पहुंचाई ।
अपने ही देश की माटी में
पैदा हुए यह सिरफिरे लोग अपनी ही मां – भारती का
चीर-हरण कर बैठे ।
26 जनवरी के स्वर्णिम इतिहास को
गणतंत्र की महिमा को
धूल -धूसरित किया इन्होंने ।
इतिहास कभी ऐसे देश-द्रोहियो को भूल
नहीं पाएगा ।
जब भी गणतंत्र दिवस का
उल्लेख होगा ,
पथिक- इतिहास इनकी
करतूत को दोहराएगा ।।
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