maa par kavita in hindi-माँ का जाना और यह सूनापन/शैलेन्द्र कुमार
maa par kavita in hindi
माँ का जाना और यह सूनापन
हो गए कंधे सूने मेरे
जिन पर हाथ रख तुम चला करती थी।
हो गई हथेलियाँ सूनी जिनमें
तुम्हारे हेतु हर क्रिया हर वस्तु
हुआ करती थी।
हो गई बाहें सूनी मेरी
जिनमें उठाकर ले जाते थे तुम्हें कहीं भी,
कुर्सी सूनी, जिसमें बैठी रहा करती थी।
बिस्तर सूना जिस पर बैठे हम पैर दबाया करते थे।
वातावरण घर का
सूना जिसमें आवाज
तुम्हारी गूंजा करती थी।
हो गया घर का कोना- कोना सूना जिनमें
तुम बसा करती थी।
तुम बिन कैसे सहें माँ, यह कसक
यह अंतहीन पीड़ा, अंतर का खालीपन
तेरे न होने का डर और यह अकेलापन
दुःख, दुःख बस दुःख और यह सूनापन
माँ तुम्हारा जाना हमेशा के लिए
और हमेशा का लिए यह सूनापन..।
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