मैंने उसको ढूंढ लिया है / सविता चडढा
उसको मैंने ढूंढ लिया है,
जिसको ढूंढ लिया है मैंने,
वह सबको नहीं मिलने वाला,
अभी बचपन है,
उछल कूद है और जवानी भी रंगीन,
पैरों नीचे नहीं जमीन,
आसमान पर हाथ है जब तक,
वह तुमको नहीं मिलने वाला,
जिसको ढूंढ लिया है मैंने।
अंधकार में मिलता है वह,
कोई पास नहीं होता जब,
हर ठोकर में मिलता है वह,
पानी की बूंदों को तरसें जब,
तब हमको मिलता है वह,
दोनों हाथ रीते हो जब,
तब हमको मिलता है वह,
उसने मुझ को ढूंढ लिया है,
मैंने उसको ढूंढ लिया है।
वह सबको नहीं मिलने वाला,
पर वह इक दिन तुम्हें मिलेगा,
जिसको मैंने ढूंढ लिया है,
परम सत्य सनातन है वह,
एक आग का गोला है वह,
लहरों लहर समुंद्र है वह,
शीत लहर के झौंके जैसा,
कुछ अपना बेगाना सा वह,
जिसको ढूंढ लिया है मैंने
परम शांति श्वैत कपोत सा,
सुंदर कलगी लगी मोर की
सुंदर किरणें आभा वाली
मेरे मन को मोह रही हैं
जीवन मोह को तोड़ रही हैं
उसको पाकर सबकुछ पाया
खुश हूं उसको ढूंढ लिया है
मैंने उसको ढूंढ लिया है ।
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