Motivational Poetry in Corona time – रखने है हौसले बुलंद

Motivational Poetry in Corona time

रखने है हौसले बुलंद


हर तरफ़ मचा है शोर
हाहाकार है घनघोर,
सांसों को तरसती
रोती बिलखती,
मां के आंचल
मे लिपटी,
कही पिता के
कंधे पर उठती,
जवा बेटो की लाश
है बेबसी का पाश,
सिन्दूर पोछती विधवाए
रुदन करती बेवाए,
आखो से संगम की धाराए
बहाते प्रेमी प्रेमिकाए,
पर लड़नी है हमे जंग
रखने है हौसले बुलंद,

जैसे,
नव कोपले
धीरज धरती है,
जैसे पृथ्वी गर्भ मे
सब सहेजती है,
जैसे खिलता है पतझड़
बूंदो को देख,
जैसे ठहरे है सागर
खारेपन को सोख,
जैसे बन्द संकलो के भीतर
आंगन इंतजार मे पड़े है,
सब हिम्मत बांधे खड़े है
आशा की डोर से जुड़े है,

वैसे ही,
मन मे इक आस लिए
सबकी सलामती के लिए,
करनी है प्रार्थनाएं
सजदे मे झुक मांगे दुआए,
कि एक भोर होगी
उम्मीदे है अनंत,
क्षीण होगी ये विपदा
होगा इसका भी अन्त।।


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ज्योति गुप्ता

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