Pradooshan Mukti | प्रदूषण – मुक्ति / सीताराम चौहान पथिक
Pradooshan Mukti | प्रदूषण – मुक्ति / सीताराम चौहान पथिक
प्रदूषण – मुक्ति
पेड़ लगाओ खूब लगाओ ,
भारत को खुशहाल बनाओ
पर्यावरण-शुद्धि पर बल दो ,
कोने-कोने को महकाओ ।।
कचरा इधर-उधर ना फैको ,
कचरे से तुम खाद बनाओ ।
घर में अनुपयुक्त चीजों से ,
आकर्षक शो-पीस बनाओ ।।
अपने घर के आँगन में ,
गमलों में सुंदर फूल उगाओ ।
घर और नगर-स्वच्छता के ,
तुम सामूहिक अभियान चलाओ ।।
कलकल छलछल बहती नदियां ,
कहती करुणमयी भाषा में ।
मानव करो न हमें प्रदूषित ,
पर-हित उद्देश्य, बहती आशा में ।।
सड़कों पर दौड़ रहे वाहन ,
कर रहे विषैला वायु को ।
वाहन कम कैसे हो सोचो ,
वन-उपवन जीव चिरायु हों।।
कैसी कठोर विस्फोटक ध्वनि
कहीं तीव्र हार्न , – नाद ।
मस्तिष्क-रोग कहीं बहरापन,
अंकुश लगाओ रोको प्रमाद
इस पर्यावरण सुरक्षा-हित ,
जल, पवन, स्वच्छ ध्वनि मर्यादित ।
होगा मानव-जीवन सुखमय ,
सात्विक विचार पर आधारित ।।
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