svaadheen raashtr -स्वाधीन राष्ट्र/ सीताराम चौहान पथिक

स्वाधीन राष्ट्र  (svaadheen raashtr)

स्वाधीन राष्ट्र


प्रिय राष्ट्र , तू ही  ज़िन्दगी ।

तुझको  हमारी  बंदगी   ।।

 

तू ही तो  जीवन – गीत है ।

आनंदमय   संगीत    है  ।।

 

यदि तू नहीं – तो हम  नहीं ।

सुख भी  मिले तो सुख नहीं ।

 

स्वाधीनता  में  दुःख  मिले  ।

सह  लेंगे  – यदि कांटे मिले ।।

 

स्वतन्त्रता  से  जिये  हम ।

सर्वोच्च  मस्तक किये हम ।।

 

नहीं आंच आए  देश पर ।

बलिदान  हों स्वदेश  पर ।।

 

हम स्वाभिमान  से  जिये ।

राष्ट्र – रस  अमॄत   पियें  ।।

 

यह राष्ट्र  ही  तो प्राण  है  ।

मां – भारती  की  शान  हैं ।।

 

प्रिय  राष्ट्र  को कोटिश नमन।

 बलिदानियों का यह चमन ।।

 

इसको ना  झुकने देंगे  हम ।

इसको ना  लुटने देंगे  हम ।।

 

शत्रु अब यह  जान  लें  ।

अच्छी तरह  पहचान  ले  ।।

 

यम – दूत हैं ,  ले लेंगे प्राण ।

अब शत्रु  हो जा सावधान  ।।

 

स्वाधीन  राष्ट्र  के  लिए  ।

हम  हैं  हलाहल  को पिये ।।

 

सीमाओं  के  प्रहरी है हम ।

वीरत्व  स्वर – लहरी है हम ।।

 

प्रिय राष्ट्र ,  तेरा स्वाभिमान  ।

द्बि – गुणित करेंगे सत्य मान।

 

यह  राष्ट्र  अपनी  आन  है  ।

बस ,  जिन्दगी  की शान हैं ।।

सीताराम चौहान पथिक


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