फ़ानी दुनिया | सम्पूर्णानंद मिश्र

फ़ानीदुनिया कोसत्य मान बैठनामूढ़ता की घोर पराकाष्ठा है यहां सुखसरसो औरदुःख एवरेस्ट है इसलिएसमय रहतेअहं की इमारत कोविवेक के बुल्डोजर सेढहा देना चाहिए इस फ़ानी कायनात मेंसब क्षणभंगुर हैकुछ भी … Read More

Holi Special poems in hindi|चटक हो सकते हैं

Holi Special poems in hindi  चटक हो सकते हैं नहीं खिलते अब रंग क्योंकि घोर दिए गए हैं इसमें अपाहिज़ मां के आंसू लाचार पिता की छटपटाहट बेवा बहन की … Read More

hindi kavita smrtiyaan/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

स्मृतियां (hindi kavita smrtiyaan) रह गईं केवल स्मृतियां उस दालान और घूरे की जहां बचपन में हम लोग छुपते थे आइस- पाइस खेलते थे साथी को ढूंढ़ने का एहसास कुबेर … Read More

kalam aur talavaar-कलम और तलवार/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

kalam aur talavaar :  डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र  की  रचना  कलम और तलवार   पाठको  के सामने  प्रस्तुत  है जो हमे सन्देश देती है कलम और तलवार में तुलना नहीं हो सकती … Read More

shahar mein karphyoo-शहर में कर्फ्यू/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

shahar mein karphyoo : प्रस्तुत रचना शहर में कर्फ्यू/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र की यह सन्देश देती है कि आज जब मानव अपने घर से निकलता है तो उसे संदेह रहता है … Read More

upanyaas ke dukhad prshthon mein/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

upanyaas ke dukhad prshthon mein : डॉ. सम्पूर्णानंद मिश्र की रचना जो वर्तमान किसान आंदोलन से सबंधित है कि उनकी कविता की’कुछ पंक्तियों के अंश से “आज का किसान रिहा … Read More