जीवन सुख-दुःख का खेला है | नरेंद्र सिंह बघेल

जीवन सुख-दुःख का खेला है | नरेंद्र सिंह बघेल जीवन सुख-दुःख का खेला है ।पर पंछी यहाँ अकेला है ।।कुछ सुखद सुवासित मधुरिम पल,कुछ आतप सा यह जलता कल ,जीवन … Read More

मां का स्नेह | हिंदी कविता | कल्पना अवस्थी

मां का स्नेहमां वह कपड़े नहीं मिल रहे जो तुमने कहीं मिला कर दिल रखे थेउस कुर्ते में आज भी तेरे हाथ है जो तूने प्यार से मेरे लिए सिल … Read More

गीत मेरे मन मीत सुनो / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश

गीत मेरे मन मीत सुनो। एक तुम्हीं जीवन आधारतुमसे जीवन का ऋंगार।पल-छिन नहीं विलग हो पाऊॅ-अगणित प्रिय तुमको आभार।1। प्रिय जीवन की प्रणय स्थली,मधुर अधर मधु गीत हो तुम,तुमसे ज्योतित … Read More

वेलेंटाइन डे पर हिंदी कविता| श्रवण कुमार पाण्डेय पथिक | Hindi poem on valentine day

हर वर्ष ,वेलेंटाइन डे नियम से आता है,ठाठ से,सड़कछाप प्रेम से जुड जाता है,!दिल जुड़ता भी और टूट भी जाता है,बाप जो कमाता है,पूत वह गंवाता है,!! तू बस ,चाल … Read More

पत्ते / सम्पूर्णानंद मिश्र

पत्ते पत्तेआभूषण हैं पेड़ों केइनके आने सेखिल उठते हैं पेड़हिलने लगती हैं डालियांवैसे हीजैसेबच्चे के जन्मने परमांलेकिनकुछस्वाभिमानी पत्तेस्वत: गिर जाते हैंधरती परकुछधकिया करगिरा दिए जाते हैंऔरजो गिराए जाते हैंउनकीआंखों में … Read More

प्रेम प्रवास | बाबा कल्पनेश

प्रेम प्रवास जिनको करना प्रेम प्रवास।आएँ मीत सभी जन पास।। जहाँ निरंतर सुरसरि धार।सुखद प्रकृति की छटा अपार।।यह पावन तट है ऋषिकेश।यहीं बुलावा है सविशेष।जिनको आ जाए यह रास।आएँ मीत … Read More

अगले पल का ठिकाना नहीं है | अनीता सक्सेना

” अगले पल का ठिकाना नहीं है। “ किरदार निभाने को मिला है इस जहाँ में ,जब भी किसी से मिलें ,प्रेम व ख़ुशी से मिलेंनश्वर है ये दुनिया, यहाँअगले … Read More

गीत मेरे मन मीत सुनो | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

गीत मेरे मन मीत सुनो | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ एक तुम्हीं जीवन आधारतुमसे जीवन का ऋंगार।पल-छिन नहीं विलग हो पाऊॅ-अगणित प्रिय तुमको आभार।1। प्रिय जीवन की प्रणय स्थली,मधुर अधर मधु … Read More

दौर | सम्पूर्णानंद मिश्र

दौर | सम्पूर्णानंद मिश्र यह दौरबिल्कुल अनिश्चितताओं का हैइस दौर मेंसब कुछ अनिश्चित हैएक बुराई ही निश्चित हैजो सर्वव्यापी हैमृत्युलोक से ब्रह्मलोक तकखूब फलीभूत हो रही हैंबुराइयांइसके कई पांव हैंहर … Read More

धूप | नरेंद्र सिंह बघेल

धूप | नरेंद्र सिंह बघेल हरे भरे इस गुलशन में क्यूँ ?मेरे हिस्से आई धूप ।ये जग रोया कलियाँ रोयीं ,देखो फिर लहराई धूप ।किस्से और कहानी सब गुम ,जगह … Read More

भला ऐसा प्रेम कौन करता है | कल्पना अवस्थी

भला ऐसा प्रेम कौन करता है | कल्पना अवस्थी भला ऐसा प्रेम कौन करता हैजहां मिलन का कोई प्रश्न ही नहीं फिर भी मन उत्तर खोजा करता हैभला ऐसा प्रेम … Read More