पहली बार दिल्ली आगमन | रत्ना भदौरिया
पहली बार दिल्ली आने का खास कारण था उससे पहले दिल्ली क्या? घर से पच्चास किमी का भी सफल नहीं तय किया था दिल्ली तो साढ़े पांच सौ किलोमीटर था … Read More
पहली बार दिल्ली आने का खास कारण था उससे पहले दिल्ली क्या? घर से पच्चास किमी का भी सफल नहीं तय किया था दिल्ली तो साढ़े पांच सौ किलोमीटर था … Read More
आइसक्रीम | रत्ना भदौरिया | लघुकथा चाय- चाय कभी ढंग की चाय बना दिया करो। कभी चाय पत्ती ज्यादा तो कभी दूध और पानी। कभी इतना पका देंगी की पीते … Read More
हमें भी | लघुकथा | रत्ना सिंह उसके कपड़े बेहद मटमैले और गंदे थे । बस की चलती तेज रफ्तार में हवा का झोंका खिड़की से अंदर आ रहा था। … Read More
लघुकथा | विरोध | रश्मि लहर | Short Story in Hindi “अम्मा जी! ननदोई जी के साथ हम होली नहीं खेलेंगे, उनके ढंग ठीक नहीं हैं।वो होली के बहाने इधर–उधर … Read More
मैं कोई लेखिका नहीं हूं । मुझे तो हिन्दी साहित्य का ‘क ख ग’भी नहीं मालुम। पढ़ने के बाद कहानी को समझने में ही महीनों लग जाते तो भला लिखने … Read More
ये बात सुन- सुनकर कान तक गये थे कि कोई काम असम्भव नहीं है बस हम उसे करना चाहें तो —वो बात और है कि हम काम करना नहीं चाहते … Read More
जवाब ढूंढती महिला / रत्ना सिंह कभी- कभी ऐसी घटनाएं सामने उभर कर आ जाती हैं कि समझ में ही नहीं आता कि भला इनको बाहर कैसे उगलू ?और यदि … Read More
सुरेखी काकी | रत्ना सिंह | हिंदी कहानी वक्त कब बदल जाए ये बात सुरेखी काकी को पता थी लेकिन इतना बदल जायेगा उससे बिल्कुल अनभिज्ञ थी । वैसे भी … Read More
fikar not hindi short story फिकर नॉट लघु कथा रामू सुबह-सुबह शराब पीकर लड़खड़ाते हुए आ रहा था। मुझे देखते ही दोनों हाथ जोड़ लिये और कहना लगा, दीदी … Read More