शहीदों को नमन | सीताराम चौहान पथिक
शहीदों को नमन | सीताराम चौहान पथिक
दीपक स्वयं निरंतर जल कर
देता दिव्य प्रकाश ।
सैनिक सीमाओं पर लड़ता,
राष्ट्र को देता आत्म विश्वास ।
दोनों का यह आत्म विश्वास,
दिवाली समॄद्ध तभी होती है ।
जलते अनाम सैनिक दीपक,
तभी लक्ष्मी- पूजा होती है ।।
जब- जब मनाएं दीवाली हम,
इक दिया शहीदी नाम का हो
जिनके साए में हम जीवित ,
उनके कॄतज्ञ सम्मान का हो ।
आतंक प्रायोजक राष्ट्रो को ,
आओ इक पाठ पढ़ा दें हम ।
बहिष्कृत कर उत्पादन उनके,
आर्थिक – चपत लगा दें हम।।
सीमाएं रक्त से लाल हुई ,
सैनिक ने ध्वज फहराया है ।
यह देश ऋणी है सैनिक का ,
मां का सम्मान बढ़ाया है ।।
बलिदानों की गाथा मत पूछो,
भूकंप नया इक आया है ।
कुन्नूर वायु – दुर्घटना में ,
राष्ट्रीय – संकट गहराया है ।।
समग्र सैन्य- बल संरक्षक ,
बिपिन रावत संग ग्यारह शूरवीर ।
इतिहास बन गये, राष्ट्र अचंभित ,
अनगिनत दीप हो रहे अधीर
दुर्घटना- ग्रस्त यान से हाय ,
ग्रुप कैप्टन अरुण सिंह है गंभीर।
सैनिक तुम साहस मत खोना,
तुम्ही साक्ष्य सक्षम हो वीर।।
झेले संकट , रहा राष्ट्र सुरक्षित
प्रहरी तुम्ही, राष्ट्र तुम से है ।
सर्वस्व समर्पण राष्ट्र प्रथम ,
दिव्य ज्योति, राष्ट्र तुम से है।।
भीषण संकट को झेला है ,
यह राष्ट्र नहीं रुकने वाला ।
सैनिक अदम्य शक्ति भारत की ,
पथिक – राष्ट्र नहीं झुकने वाला ।।

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