फ्रैक्चर / सम्पूर्णानंद मिश्र
फ्रैक्चर / सम्पूर्णानंद मिश्र जब विश्वास का पैरफ्रैक्चर होता हैतो नहीं ठीक होता है जल्दीबहुत समय लगता हैइसको फिर से खड़ा होने मेंक्योंकिजब यह खड़ा होता हैधीमी चालचलता हैतोअविश्वास के … Read More
फ्रैक्चर / सम्पूर्णानंद मिश्र जब विश्वास का पैरफ्रैक्चर होता हैतो नहीं ठीक होता है जल्दीबहुत समय लगता हैइसको फिर से खड़ा होने मेंक्योंकिजब यह खड़ा होता हैधीमी चालचलता हैतोअविश्वास के … Read More
मत ढूंढ़ों मुझे / सम्पूर्णानंद मिश्र नहीं हूं वहां मैंजहां ढूंढ़ा जा रहा है मुझेथा कभी वहां मैंउस दालान मेंबूढ़े बाबा के पासजहां इंसान पनही से नहींअपने आचरण से जोखा … Read More
सुखद दिन / डॉ०सम्पूर्णानंद मिश्र वे दिन कितने सुखद थेस्वच्छता अभियान परन खर्चा न चर्चाविद्यालय पहुंचने परसाफ-सफाई करकेजमीन परबोरी बिछाते थेगुरुकुल परंपरा मेंपढ़ने बैठ जाते थेगुरु का आदेश शिरोधार्य थापूरी … Read More
बंद है बात / सम्पूर्णानंद मिश्र कई वर्षों सेबंद है बातधरती और आकाश कीदोनों तने हैंखंज़र दोनों केख़ून से सने हैंनहीं झुकना चाहता हैमुट्ठी भर कोई भीस्वीकार नहीं हैअपनी लघुता … Read More
पिता की नसीहत / सम्पूर्णानंद मिश्र पिता ने पुत्र कोनसीहत देते हुएकहा कि बेटाजिंदगी में पानी की तरहमत बहनासपाट जीवन मत जीनारुकावटें आएंगीतुम्हें विचलित करजायेंगीतोड़ने का प्रयास किया जायेगाटूटना मतबिकना … Read More
प्रदर्शन / सम्पूर्णानंद मिश्र और तौर-तरीके हैंप्रदर्शन केआगज़नी, तोड़फोड़, लूटपाटहल नहीं हैबहुत बड़ा अपराध हैक्षतिग्रस्त करनाइस तरह से देश कोलहू पीकर भाइयोंका अपने हीकभी नहीं प्रसन्न रह सकतेसमृद्धि की यह … Read More
झूठ के पनारों में / सम्पूर्णानंद मिश्र घटनाएं घटती हैंसृष्टि मेंऔर रोज़ घटती हैंकभी अच्छीतो कभी बुरीकुछ घटनाओं कोनिगल जाता है पेट मेंइतिहासऔर कुछ उगील देता हैजो उगीलता हैवह तथ्यपाठ्यक्रम … Read More
आ जाओ गौरैया | डॉ सम्पूर्णानंद मिश्र आ जाओ गौरैया आ जाओ गौरैया रानीफुदकती हुई मेरे छत परचीं चीं चूं चूं का स्वरमेरे सहन में बिखरा जाओतुम कैसी हो ?कहां … Read More
इन्हीं आंखों ने देखा है | डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र शिष्टजनक्याइन्हीं आंखों ने देखा है ?सारा मंज़रअपना छिनता हुआ बचपन हां भाई देखा है इन्हीं आंखों ने! बाजार के गोलगप्पे जहां … Read More
बोलो कबीर आशंका अविश्वासनकारात्मक सोचकी कुक्षि सेअहंकार और ईर्ष्या का उदय होता हैजिसका पथ जाता हैसीधे विनाश के गड्ढे मेंमाने बैठें हैं सत्य इसी कोकुछ तथाकथितजो छल, पाखंड, ढोंग और … Read More
बहुरंगी भेड़िए / संपूर्णानंद मिश्र ऊपर से साफ़- सुथरी हैयह सतरंगी दुनियाभीतर कुछ धुंधला, अस्पष्टसंघर्ष ही संघर्षकुछ खास उनके लिए जोनेपोटिज्म की सूईअपनी बांहों में गोदवाए बिनामाला- फूल अक्षतरोली चढ़ाएं … Read More
चिपकी मलाई | सम्पूर्णानंद मिश्र होनी चाहिए भाषा मीठीक्योंकिभाषा बांधती हैआकृष्ट करती है सबकोभाषा का माधुर्यआईना दिखाती हैहमारे संस्कारों कालेकिनअतिशय मीठी भाषा हमेंलक्ष्य से भटका देती हैदरअसलजब मीठी भाषासजती, संवरती … Read More
आओ!अब मातम मनाएं | Hindi Kavita Aao Maatam Manaen दिल्ली में न हिंदू मरान मुसलमान सिर्फ़ इंसान मराआओ!अब अपने नापाकहाथों की कुछ धूल झाड़ आएंचलो घटनास्थलका दौरा कर आएं ! … Read More
चकाचौंध की दुनिया / डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र घुल गया है ज़हरचकाचौंध की दुनिया मेंजहां हर चेहरा एक राजदार है और उसकी सोचउतनी ही धारदार हैइस दुनिया की रेल- पटरी से … Read More
हृदयविदारक घटना( लखीमपुर की) किसने दे दिया अधिकारबूढ़ों को सड़क पर चलने काउन्हें तो घर में रहना चाहिएबिल्कुल घर मेंवह भी शांत भाव सेबिना शोर- शराबा केचाहे कोई कुछ भी … Read More