कविता टाइफायड में / डॉ सम्पूर्णानंद मिश्र

कविता टाइफायड में आज मैं लिखरहा हूं कविता टाइफायड मेंक्यों लिख रहा हूंनहीं समझ पा रहा हूंहां आज मन कुछ उदास हैक्योंकि नहीं कोई मेरे पास हैजब मैं स्वस्थ थातो … Read More

हिंदी की महत्ता / डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

हिंदी की महत्ता / डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र हिंदी की महत्ता आदिकाल से हिंदी की अपनी एक महत्ता है। विभिन्न भाषा- भाषियों के बीच इसकी सत्ता है।। सूर, कबीर, तुलसी का … Read More

बिना मास्क के/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र | Bina mask

बिना मास्क के /डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र | Bina mask प्रस्तुत  कविता   बिना  मास्क के / डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र  की स्वरचित रचना प्रेरणा दे  रही है कि  समाज के प्रबुद्ध लोगों  को … Read More

Charitra Nirman Par kavita/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

चरित्र (Charitra Nirman Par kavita) व्यापक शब्द,चरित्र वैविध्य गुणों को लेकर अपने पेट में न जाने कितने कालखंड से आंधी की मार सहते हुए चला आ रहा है लोगों की … Read More

Aurat hindi kavita/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

Aurat hindi kavita:  डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र  की हिंदी कविता  औरत हिंदीरचनाकर के पाठकों को समर्पित की है इस कविता में लेखक ने औरत की स्थिति का वर्णन किया वह अपने … Read More

Poetry collection cancer-डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

कैंसर (Poetry collection cancer) एक कैंसर है नकारात्मक सोच मस्तिष्क में यदि घर बना ले किसी के यह नहीं सोच सकता है अच्छा कभी वह शिकार हो जाता है मानसिक … Read More

hindi poem granthi/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

ग्रंथि (hindi poem granthi) बहुत छोटा शब्द है लेकिन प्रभाव मारक होता है भर लेती है विष, ग्रंथि अपने भीतर और जिस घर में बैठ जाती है खोखला कर देती … Read More

daree huee praja/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

डरी हुई प्रजा (daree huee praja) राजा था वह डराता था प्रजा को बहुत शोषक था वह भयाक्रांत थे शोषित उससे प्रशासन की बागडोर भी संभाली थी उसने अधीनस्थ कर्मचारियों … Read More

hindi kavita smrtiyaan/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

स्मृतियां (hindi kavita smrtiyaan) रह गईं केवल स्मृतियां उस दालान और घूरे की जहां बचपन में हम लोग छुपते थे आइस- पाइस खेलते थे साथी को ढूंढ़ने का एहसास कुबेर … Read More

saty kee jeet hindi kavita/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

सत्य की जीत (saty kee jeet hindi kavita) अंधकार के गर्भ से जन्मता है प्रकाश जन्मता है सत्य भी वैसे ही झूठ के गर्भ से चाहे जितनी कोशिश की जाय … Read More

dene lagate hain ghaav/देने लगते हैं घाव-डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

dene lagate hain ghaav : डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र की रचना देने लगते हैं घाव का संदेश यह है कि मानव व्यर्थ में अनावश्यक   न  बोले जब  वर्तालाप  करे तो वह अपने … Read More

shahar mein karphyoo-शहर में कर्फ्यू/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

shahar mein karphyoo : प्रस्तुत रचना शहर में कर्फ्यू/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र की यह सन्देश देती है कि आज जब मानव अपने घर से निकलता है तो उसे संदेह रहता है … Read More

upanyaas ke dukhad prshthon mein/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

upanyaas ke dukhad prshthon mein : डॉ. सम्पूर्णानंद मिश्र की रचना जो वर्तमान किसान आंदोलन से सबंधित है कि उनकी कविता की’कुछ पंक्तियों के अंश से “आज का किसान रिहा … Read More