गणतंत्र पर बदलाव |कल्पना अवस्थी ‘दर्पण’

गणतंत्र पर बदलाव सब कुछ बदल रहा है बदलाव और भी हो सबल हो सब सुखी निर्बल के मुंह में कौर भी हो दीपक की रोशनी से शहर सराबोर हो … Read More

फिर मोचीराम | हूबनाथ

फिर मोचीराम (प्रिय कवि धूमिल को याद करते हुए) बाबूजीजिनके पास शब्द थेवे मंडी में बैठ गए और जो अक्षरों के आगेअंधे थेउनकी आँखें निकाल ली गईंऔर कमज़ोर डंडे मेंएक … Read More

फ्लाई ओवर के नीचे | सम्पूर्णानंद मिश्र

फ्लाई ओवर के नीचे चमचमाती फ्लाई ओवर की सड़कों के ठीक नीचेएक दुनिया बसती हैजोबहुत साधारण सी दिखती हैइस दुनिया मेंअनगिनत ऐसेलोग हैंजिनकी ज़बानसे ज़्यादाआंखें चलती हैंगरीब कहते हैंइस विचित्र … Read More

मंदार माला सवैया | Mandaar Mala Savaiya

मंदार माला सवैया | Mandaar Mala Savaiya मंदार माला सवैया=7×221+2 हे राम रामा जपो दुःख छूटे इसी से सधे मुक्ति की कामना।ज्ञानी यही ज्ञान संदेश देते करो राम के नाम … Read More

यह फैसला मेरा है / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

यह फैसला मेरा है / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ वह फैसला तेरा था ,यह फैसला मेरा है,जायेंगे किस तरफ,हर तरफ अंधेरा है।1। ख्वाब देखे जो साथ तेरे, वे खूबसूरत थे,गर्दिशी दौर … Read More

Short poem on Swami Vivekananda in Hindi | स्वामी विवेकानंद पर नयी कविता

Short poem on Swami Vivekananda in Hindi | स्वामी विवेकानंद पर नयी कविता स्वामी विवेकानंद की जयंती विशेष पर कविता जागो राष्ट्र निवासी मेरे,जागे भारत देश।जहाँ जागरण हो जाता है,रहता … Read More

अनगिन रूप सॅवरती हिन्दी / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश’

अनगिन रूप सॅवरती हिन्दी / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश’ हिन्दी है अभिमान हमारा,हिन्दी से सम्मान,हिन्दी से ही आज विश्व में,भारत की पहचान।1। जग की प्यारी न्यारी भाषा,अपनी सुन्दर हिन्दी,नेह लुटाती मधु बरसाती,सुखदा … Read More

जवाब ढूंढती महिला / रत्ना सिंह

जवाब ढूंढती महिला / रत्ना सिंह कभी- कभी ऐसी घटनाएं सामने उभर कर आ जाती हैं कि समझ में ही नहीं आता कि भला इनको बाहर कैसे उगलू ?और यदि … Read More

कबीर के राम और तुलसी के राम | अशोक कुमार गौतम

कबीर के राम और तुलसी के राम | अशोक कुमार गौतम “राम” शब्द को वैज्ञानिक आधार पर भी देखा जा सकता है। “रा” वर्ण का जोर से उच्चारण (महाप्राण ध्वनि) … Read More

माता वीणा पाणि की,जिस पर कृपा अपार / बाबा कल्पनेश

माता वीणा पाणि की,जिस पर कृपा अपार / बाबा कल्पनेश माता वीणा पाणि की,जिस पर कृपा अपार।अपने आँचल छाँव में,रखती उसे दुलार।। भाव सरोवर में खिले,पुलकित उसका भाल।नित-प्रति वंदन पद … Read More

सुरेखी काकी | रत्ना सिंह | हिंदी कहानी

सुरेखी काकी | रत्ना सिंह | हिंदी कहानी वक्त कब बदल जाए ये बात सुरेखी काकी को पता‌ थी लेकिन इतना बदल जायेगा उससे बिल्कुल अनभिज्ञ थी । वैसे भी … Read More

ख़ारिज करता है पिता / सम्पूर्णानंद मिश्र

ख़ारिज करता है पिता / सम्पूर्णानंद मिश्र नहीं पनपसकता लघु पौधाबरगद की छांव मेंपिताख़ारिज करता हैउक्त कथनक्योंकिस्पष्ट अंतर दिखाई देता हैपिता और बरगद मेंजहां पिताआत्मीयजन कोअपना सिरमौर बनाता हैस्नेह के … Read More

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर कविता | VISHVA HINDI DIWAS PAR KAVITA

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर कविता | VISHVA HINDI DIWAS PAR KAVITA हिंदी से पहचान हमारी,हिंदी हमको प्यारी।जय दे जय हो बोल-बोलकर,चलो बजाएँ तारी।।अँग्रेजों से लड़कर जिसने,दी हमको आजादी।एक नवल पहचान … Read More

लक्ष्य बनाकर चलना सीखो / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

लक्ष्य बनाकर चलना सीखो / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ लक्ष्य बनाकर चलना सीखो,बन कर फूल महकना सीखो।1।धरा-गगन सब बनें सहायक,ऋतु सा रूप संवरना सीखो।2।मीठी सरस मधुर वाणी में,कोयल सा तुम कहना … Read More