algoza bagheli kavita- चिन्ना बाबा का अलगोजा/नरेन्द्र सिंह बघेल

आज से करीब( 55_60) वर्ष पहले की बाल स्मृतियों में संचित ग्रामीण परिवेश में कृषि कार्य से संबंधित अपने घर के कुछ दृष्टि बिंबों को समेटने सहेजने का प्रयास रचना में किया गया है (algozabaghelikavita)वस्तुतः यह  यथा स्थिति का कल्पनाओं और व्यंजनाओं से अलग वस्तुस्थिति का यथार्थ चित्रण है  ।रचना में उल्लेखित भूमि पुत्रों के नाम यथावत ”       में दर्शाए गए हैं। यह रचना व्याकरण की भाषा में त्रुटियों से भरी है परंतु इसका भाव प्रवाह ही रचना का मूल स्रोत है कृपया मेरा यह लंबा वक्तव्य एवं रचना श्रेष्ठजनों, गुणीजनों, विद्वतजनों के समक्ष क्षमा के साथ सादर प्रस्तुत है ।   विशेष —–रचना में “अलगोजा”वाद्य यंत्र का उल्लेख किया गया है यह एक ऐसा वाद्य यंत्र है जो दो बांसुरियों को दोनों हाथों में अलग-अलग पकड़ कर इसे मुंह में एक साथ फंसा कर एक ही फूंक से बिना रुके एक साथ दो सुरों में बजाया जाता है । शायद दुर्लभ और अद्भुत वाद्य यंत्र जो आज भी राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र में लोक संस्कृति के रूप में विद्यमान है । अद्भुत कला एवं अद्भुत कलाकार हमारे घर में काम करने वाले धरतीपुत्र स्वर्गीय चिन्ना बाबा को और उनकी लोक संगीत की कला को नमन। प्रस्तुत है रचना——- चिन्ना बाबा का अलगोजा हर किसान के हर हैं कितने, उसका रुतबा बतलाते । और समाज के बीच में उसको, ऊंचा ओहदा दिलवाते  ।। सात हरन क आपन घर, होत रहा किसान । गोइंडहरे के लोग सबै जन, देत रहे सम्मान  ।। “सुरजा” “गिल्ला” “रम्मा” “चिन्ना” अउर “गैबिया ” काका । खेत जोतते टप्पा गाते, बजते ढोल-ढमाका  ।। “चिन्ना ” बब्बा” का अलगोजा, देवी पूजन में बजता । और कजलियां होरी के दिन, महफिल में भी सजता ।। “नाते ” “व्यकंट” भोर सुबह उठ, पहट चराने जाते । … Read More

बघेली में अषाढ़ी दोहे/नरेंद्र सिंह बघेल

प्रसंग वश चल रहे वार्तालाप से उपजे ग्रामीण परिवेश के कुछ बघेली में अषाढ़ी दोहे। प्रथम प्रयास। विनम्रता के साथ गलतियां क्षमा करेंगे। बघेली में अषाढ़ी दोहे/नरेंद्र सिंह बघेल १) … Read More

मोहब्बत हो गई जबसे | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

मोहब्बत हो गई जबसे | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ मोहब्बत की राहों पर, ,कभी नाराज न होना ,इसे तुम सरजमीं कहना,यही है जिन्दगी अपनी,यही है बन्दगी अपनी।1। बहारों ने कदम चूमा,गुलिस्तॉ … Read More

मां का स्नेह | हिंदी कविता | कल्पना अवस्थी

मां का स्नेहमां वह कपड़े नहीं मिल रहे जो तुमने कहीं मिला कर दिल रखे थेउस कुर्ते में आज भी तेरे हाथ है जो तूने प्यार से मेरे लिए सिल … Read More

गीत मेरे मन मीत सुनो / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश

गीत मेरे मन मीत सुनो। एक तुम्हीं जीवन आधारतुमसे जीवन का ऋंगार।पल-छिन नहीं विलग हो पाऊॅ-अगणित प्रिय तुमको आभार।1। प्रिय जीवन की प्रणय स्थली,मधुर अधर मधु गीत हो तुम,तुमसे ज्योतित … Read More

वेलेंटाइन डे पर हिंदी कविता| श्रवण कुमार पाण्डेय पथिक | Hindi poem on valentine day

हर वर्ष ,वेलेंटाइन डे नियम से आता है,ठाठ से,सड़कछाप प्रेम से जुड जाता है,!दिल जुड़ता भी और टूट भी जाता है,बाप जो कमाता है,पूत वह गंवाता है,!! तू बस ,चाल … Read More

पत्ते / सम्पूर्णानंद मिश्र

पत्ते पत्तेआभूषण हैं पेड़ों केइनके आने सेखिल उठते हैं पेड़हिलने लगती हैं डालियांवैसे हीजैसेबच्चे के जन्मने परमांलेकिनकुछस्वाभिमानी पत्तेस्वत: गिर जाते हैंधरती परकुछधकिया करगिरा दिए जाते हैंऔरजो गिराए जाते हैंउनकीआंखों में … Read More

प्रेम प्रवास | बाबा कल्पनेश

प्रेम प्रवास जिनको करना प्रेम प्रवास।आएँ मीत सभी जन पास।। जहाँ निरंतर सुरसरि धार।सुखद प्रकृति की छटा अपार।।यह पावन तट है ऋषिकेश।यहीं बुलावा है सविशेष।जिनको आ जाए यह रास।आएँ मीत … Read More

अगले पल का ठिकाना नहीं है | अनीता सक्सेना

” अगले पल का ठिकाना नहीं है। “ किरदार निभाने को मिला है इस जहाँ में ,जब भी किसी से मिलें ,प्रेम व ख़ुशी से मिलेंनश्वर है ये दुनिया, यहाँअगले … Read More

गीत मेरे मन मीत सुनो | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

गीत मेरे मन मीत सुनो | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ एक तुम्हीं जीवन आधारतुमसे जीवन का ऋंगार।पल-छिन नहीं विलग हो पाऊॅ-अगणित प्रिय तुमको आभार।1। प्रिय जीवन की प्रणय स्थली,मधुर अधर मधु … Read More

दौर | सम्पूर्णानंद मिश्र

दौर | सम्पूर्णानंद मिश्र यह दौरबिल्कुल अनिश्चितताओं का हैइस दौर मेंसब कुछ अनिश्चित हैएक बुराई ही निश्चित हैजो सर्वव्यापी हैमृत्युलोक से ब्रह्मलोक तकखूब फलीभूत हो रही हैंबुराइयांइसके कई पांव हैंहर … Read More

धूप | नरेंद्र सिंह बघेल

धूप | नरेंद्र सिंह बघेल हरे भरे इस गुलशन में क्यूँ ?मेरे हिस्से आई धूप ।ये जग रोया कलियाँ रोयीं ,देखो फिर लहराई धूप ।किस्से और कहानी सब गुम ,जगह … Read More

भला ऐसा प्रेम कौन करता है | कल्पना अवस्थी

भला ऐसा प्रेम कौन करता है | कल्पना अवस्थी भला ऐसा प्रेम कौन करता हैजहां मिलन का कोई प्रश्न ही नहीं फिर भी मन उत्तर खोजा करता हैभला ऐसा प्रेम … Read More

श्री राम कालीन अर्थव्यवस्था का युग | अशोक कुमार गौतम

श्री राम कालीन अर्थव्यवस्था का युग | अशोक कुमार गौतम अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र अखिल विश्व के नायक, लोकरक्षक, लोकरंजक ईश्वर हैं। उनके सम्पूर्ण जीवनशैली को भगवान के रूप … Read More

संस्मरण | कुछ यादें ऐसी भी | रत्ना सिंह

कुछ यादें ऐसी भी – अपने सात साल के नर्सिंग कैरियर में इतना खुश किसी भी मरीज को नहीं देखा जितना खुश रेखा मैम थी। शुरू में जब वे आई … Read More