वेलेंटाइन डे पर हिंदी कविता| श्रवण कुमार पाण्डेय पथिक | Hindi poem on valentine day

हर वर्ष ,वेलेंटाइन डे नियम से आता है,ठाठ से,सड़कछाप प्रेम से जुड जाता है,!दिल जुड़ता भी और टूट भी जाता है,बाप जो कमाता है,पूत वह गंवाता है,!! तू बस ,चाल … Read More

पत्ते / सम्पूर्णानंद मिश्र

पत्ते पत्तेआभूषण हैं पेड़ों केइनके आने सेखिल उठते हैं पेड़हिलने लगती हैं डालियांवैसे हीजैसेबच्चे के जन्मने परमांलेकिनकुछस्वाभिमानी पत्तेस्वत: गिर जाते हैंधरती परकुछधकिया करगिरा दिए जाते हैंऔरजो गिराए जाते हैंउनकीआंखों में … Read More

प्रेम प्रवास | बाबा कल्पनेश

प्रेम प्रवास जिनको करना प्रेम प्रवास।आएँ मीत सभी जन पास।। जहाँ निरंतर सुरसरि धार।सुखद प्रकृति की छटा अपार।।यह पावन तट है ऋषिकेश।यहीं बुलावा है सविशेष।जिनको आ जाए यह रास।आएँ मीत … Read More

अगले पल का ठिकाना नहीं है | अनीता सक्सेना

” अगले पल का ठिकाना नहीं है। “ किरदार निभाने को मिला है इस जहाँ में ,जब भी किसी से मिलें ,प्रेम व ख़ुशी से मिलेंनश्वर है ये दुनिया, यहाँअगले … Read More

गीत मेरे मन मीत सुनो | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

गीत मेरे मन मीत सुनो | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ एक तुम्हीं जीवन आधारतुमसे जीवन का ऋंगार।पल-छिन नहीं विलग हो पाऊॅ-अगणित प्रिय तुमको आभार।1। प्रिय जीवन की प्रणय स्थली,मधुर अधर मधु … Read More

दौर | सम्पूर्णानंद मिश्र

दौर | सम्पूर्णानंद मिश्र यह दौरबिल्कुल अनिश्चितताओं का हैइस दौर मेंसब कुछ अनिश्चित हैएक बुराई ही निश्चित हैजो सर्वव्यापी हैमृत्युलोक से ब्रह्मलोक तकखूब फलीभूत हो रही हैंबुराइयांइसके कई पांव हैंहर … Read More

धूप | नरेंद्र सिंह बघेल

धूप | नरेंद्र सिंह बघेल हरे भरे इस गुलशन में क्यूँ ?मेरे हिस्से आई धूप ।ये जग रोया कलियाँ रोयीं ,देखो फिर लहराई धूप ।किस्से और कहानी सब गुम ,जगह … Read More

भला ऐसा प्रेम कौन करता है | कल्पना अवस्थी

भला ऐसा प्रेम कौन करता है | कल्पना अवस्थी भला ऐसा प्रेम कौन करता हैजहां मिलन का कोई प्रश्न ही नहीं फिर भी मन उत्तर खोजा करता हैभला ऐसा प्रेम … Read More

गणतंत्र पर बदलाव |कल्पना अवस्थी ‘दर्पण’

गणतंत्र पर बदलाव सब कुछ बदल रहा है बदलाव और भी हो सबल हो सब सुखी निर्बल के मुंह में कौर भी हो दीपक की रोशनी से शहर सराबोर हो … Read More

फिर मोचीराम | हूबनाथ

फिर मोचीराम (प्रिय कवि धूमिल को याद करते हुए) बाबूजीजिनके पास शब्द थेवे मंडी में बैठ गए और जो अक्षरों के आगेअंधे थेउनकी आँखें निकाल ली गईंऔर कमज़ोर डंडे मेंएक … Read More

फ्लाई ओवर के नीचे | सम्पूर्णानंद मिश्र

फ्लाई ओवर के नीचे चमचमाती फ्लाई ओवर की सड़कों के ठीक नीचेएक दुनिया बसती हैजोबहुत साधारण सी दिखती हैइस दुनिया मेंअनगिनत ऐसेलोग हैंजिनकी ज़बानसे ज़्यादाआंखें चलती हैंगरीब कहते हैंइस विचित्र … Read More

मंदार माला सवैया | Mandaar Mala Savaiya

मंदार माला सवैया | Mandaar Mala Savaiya मंदार माला सवैया=7×221+2 हे राम रामा जपो दुःख छूटे इसी से सधे मुक्ति की कामना।ज्ञानी यही ज्ञान संदेश देते करो राम के नाम … Read More

यह फैसला मेरा है / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

यह फैसला मेरा है / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ वह फैसला तेरा था ,यह फैसला मेरा है,जायेंगे किस तरफ,हर तरफ अंधेरा है।1। ख्वाब देखे जो साथ तेरे, वे खूबसूरत थे,गर्दिशी दौर … Read More

Short poem on Swami Vivekananda in Hindi | स्वामी विवेकानंद पर नयी कविता

Short poem on Swami Vivekananda in Hindi | स्वामी विवेकानंद पर नयी कविता स्वामी विवेकानंद की जयंती विशेष पर कविता जागो राष्ट्र निवासी मेरे,जागे भारत देश।जहाँ जागरण हो जाता है,रहता … Read More

अनगिन रूप सॅवरती हिन्दी / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश’

अनगिन रूप सॅवरती हिन्दी / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश’ हिन्दी है अभिमान हमारा,हिन्दी से सम्मान,हिन्दी से ही आज विश्व में,भारत की पहचान।1। जग की प्यारी न्यारी भाषा,अपनी सुन्दर हिन्दी,नेह लुटाती मधु बरसाती,सुखदा … Read More