मत ढूंढ़ों मुझे / सम्पूर्णानंद मिश्र | Sampurnanand Mishra Poems in Hindi

मत ढूंढ़ों मुझे / सम्पूर्णानंद मिश्र नहीं हूं वहां मैंजहां ढूंढ़ा जा रहा है मुझेथा कभी वहां मैंउस दालान मेंबूढ़े बाबा के पासजहां इंसान पनही से नहींअपने आचरण से जोखा … Read More

पतझड़ | लिख दो नई किताब,मेरे हिसाब से | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

पतझड़ जीवन-उपवन में पतझड़ ने,उलट फेर कर डाला,लुटे-लुटाये डाल-पात पर,मधुरस किसने डाला।टेक। बहॅकी-बहॅकी पवन नवेली,सुरभि लुटाती बनीं पहेली।मनहर तरुवर नग्न निरखते,कैसे मचले पवन बघेली।सुकुमार तड़पती कलिका को,क्यों बदरंग कर डाला।जीवन-उपवन … Read More

Rashmi lehar ki kavita hindi mein | मेरे मन के छज्जे पर

Rashmi lehar ki kavita hindi mein | मेरे मन के छज्जे पर मेरे मन के छज्जे परवो..कोहनियों के बल चेहरा टिकाएऑंखों में उम्मीद सजाएनिहारता मिला!ना कोई शिकवा..ना गिला!तुम्हारा.. होना अच्छा … Read More

श्रवण कुमार पाण्डेय | हिंदी कविता | नयी कविता

श्रवण कुमार पाण्डेय | हिंदी कविता | नयी कविता आज काल का मनई अरे रे रे,,,,आज काल का मनई ,,, पता नाय काहे येत्ता जहरीला होत है भईय्या,, एक रात,,ई … Read More

घेर रहे संकट के बादल / बाबा कल्पनेश

घेर रहे संकट के बादल / बाबा कल्पनेश घेर रहे संकट के बादल,फिर से चारो ओर।शीश कतर देने की घटना,का कितना है शोर।। सुनकर रुदन पड़ोसी जन की,करना मत आवाज।गलाकाट … Read More

मैं जाना चाहती थी / ज्योति गुप्ता

मैं जाना चाहती थीमैं जाना चाहती थीतुमसे दूर , बहुत दूरकी तुम्हारा दिया कुछ भी अब बोझ लगने लगा था, वो आखिरी आलिंगनवो आंसुओ के आखिरी चुम्बनजो आज भी ओस … Read More

सफर / वेदिका श्रीवास्तव नेहा | Vedika Srivastava New Poetry

सफर निकले हैं सफर पे तो रुकना भी ज़रूरी है ,मिलेंगे कई चेहरों से ,मिलना भी ज़रूरी है | साथ दे हर मुसाफिर,हर मुसाफिर का यहाँ कैसे !मंजिल अलग है … Read More

मेरा मैं / आशा शैली

मेरा मैं / आशा शैली कभी-कभी मन करता हैचलो कुछ बड़ी पापड़ बना लूँ कुछ अचार डाल लूँखट्टा-मीठाया कुछ कपड़े ही सी लूँबहुत हो गयालिखना-पढ़नाकविताओं-कहानियों को गढ़ना थोड़ी देर के … Read More

सुखद दिन / डॉ०सम्पूर्णानंद मिश्र

सुखद दिन / डॉ०सम्पूर्णानंद मिश्र वे दिन कितने ‌सुखद थेस्वच्छता अभियान परन खर्चा न‌ चर्चाविद्यालय ‌पहुंचने परसाफ-सफाई करके‌जमीन परबोरी‌ बिछाते थेगुरुकुल परंपरा मेंपढ़ने बैठ जाते थेगुरु का आदेश शिरोधार्य थापूरी … Read More

अब जाकर आराम मिला है / पुष्पा श्रीवास्तव शैली

अब जाकर आराम मिला है / पुष्पा श्रीवास्तव शैली अब जाकर आराम मिला है। बादल लिखना,काजल लिखनाकोई अर्थ कहाॅं होता है।जब तक लिखा न जाए ऑंसू,कोई मर्म कहाॅं होता है।लिखा … Read More

बंद है बात / सम्पूर्णानंद मिश्र

बंद है बात / सम्पूर्णानंद मिश्र कई वर्षों सेबंद है बातधरती और आकाश कीदोनों तने हैंखंज़र दोनों केख़ून से सने हैंनहीं झुकना चाहता हैमुट्ठी भर कोई भीस्वीकार नहीं हैअपनी लघुता … Read More

गर्मी / डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

हुआ जीवन बेहालतपती इस गर्मी सेजल रही धरतीजल रहा आकाशतपती इस गर्मी सेजल रही है युवाओं की आशाबेरोज़गारी की आग मेंकोई बताए जाएं किस राहजब जल गई हो सारी चाहतपती … Read More

शहर भी कभी गांव था / परम हंस मौर्य

शहर भी कभी गांव था।आंखों में पवित्रता दिल में प्रेम भरा हाव भाव था।शहर में रह कर गुमान मत कर शहर भी कभी गांव था। हर जगह इंसानियत ही इंसानियत … Read More

कवि चक्रधर नलिन की बाल कविताएं | Children Poems of Poet Chakradhar Nalin

पवन धीरे धीरे बहे पवन।झूमे धरती नील गगन। कलियों की लोगंध उड़ीधूप लगाये पीठ छड़ीधरती नीचे कील गड़ी, महके खण्डहर , उच्च भवन।धीरे धीरे बहा पवन। अमवा चढ़ कोयल बोलेवापी … Read More

तनहाई / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

तनहाई / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ तनहाई में शीशे जैसा,दिल नहीं टूटने वाला। तनहाई में याद तुम्हारी , मेरा साथ निभा जाती है,तुम भी पूछो तनहाई से,कैसे क्या बतला जाती है।1। … Read More