शंखनाद | हत्यारा | हूबनाथ
शंखनाद पूर्णसत्य तोयुधिष्ठिर भी नहीं चाहते थेजिन्हें माना जाता थासत्यनिष्ठ वे राज़ी थेसुविधाजनक सत्य पर सत्यसुविधाजनक होतो आसानी सेबदला जा सकता हैअसत्य से सत्यछिपाया जा सकता हैशंख बजाकरघड़ियालनगाड़े बजाकर उसके … Read More
शंखनाद पूर्णसत्य तोयुधिष्ठिर भी नहीं चाहते थेजिन्हें माना जाता थासत्यनिष्ठ वे राज़ी थेसुविधाजनक सत्य पर सत्यसुविधाजनक होतो आसानी सेबदला जा सकता हैअसत्य से सत्यछिपाया जा सकता हैशंख बजाकरघड़ियालनगाड़े बजाकर उसके … Read More
पलायन | दर्पण | Hindi kavita | अभिमन्यु पाल आलोचक 1. पलायन मैं छोंड़ आया वो शांत गाँवमुझको शहरों का शोर पसंद है। स्मृति के चित्र चित पर छपकरपीड़ित मन … Read More
१. सप्तर्षि का कंगन पहने सप्तर्षि का कंगन पहनेअंबर कुछ मुस्काता है। धीमे-धीमे, सॅंवर-सॅंवर करचंद्र किरण बिखराता है।। धूप पूजती पाॅंव धरा केजलधि प्रणाम सुहाता है।। डोल-डोल कर मलय प्रफुल्लितसरगम … Read More
होंठों पर रस-गागर धर दो | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ हौले से छू लो तन मेरा,माटी कंचन हो जाये,सॉसों के इस महल-दुमहले,का अभिनन्दन हो जाये।टेक। रोम-रोम सिहरन भर जाती,भोर-प्रभाती या सॅझवाती,किससे … Read More
हिन्दू नव वर्ष पर कविता 2022 – Hindu New Year Poem in Hindi – हिन्दू नव वर्ष पोएम इन हिंदी – Hindu Nav Varsh Kavita Hindi me नवसंवत्सर झड़ गए … Read More
‘लिखो न उदासी’ | रश्मि लहर | Hindi Kavita ‘लिखो न उदासी’ डुबो दो खुशी में, लिखो न उदासी।तुम्हें फिर है लिखना कोई गीत साथी।।भरो भावनाएं अलंकृत करो नेह,पुकारो कलम … Read More
जो गलत है उसका विरोध करो | अभिमन्यु पाल आलोचक जो गलत है उसका विरोध करो निर्भीक बनो अवरोध करोजो गलत है उसका विरोध करो,यदि मानव हो तो मानव बनकरतुम … Read More
सखी नदिया की रेत तपे / आशा शैली सखी नदिया की रेत तपेप्रीत निगोड़ी सुनहु सखी,मरने ना जीने देसखी नदिया की रेत तपे जाने कब घन गगन घिरेकब साजन घर … Read More
सृजन– गीत कब गायेगा | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ विश्व परिदृश्य का समसामयिक गीत सृजन – गीत कब गायेगा। कोई बता दे मानवता का ,परचम कब लहरायेगा,तहस-नहस को आतुर मानव,सृजन-गीत कब … Read More
आ जाओ गौरैया | डॉ सम्पूर्णानंद मिश्र आ जाओ गौरैया आ जाओ गौरैया रानीफुदकती हुई मेरे छत परचीं चीं चूं चूं का स्वरमेरे सहन में बिखरा जाओतुम कैसी हो ?कहां … Read More
होली | तोमर छंद | बाबा कल्पनेश होली विधा-तोमर छंद कर होलिका का दाह।कह कौन करता आह।।प्रह्लाद जपता राम।पाता जगत विश्राम।। तब ही मनाते सर्व।हर वर्ष होली पर्व।।रे मूढ़ मन … Read More
Hindi kavita | Hindi Poems | Poetry | आशा शैली 1 किस खोज में हैं और ये क्या ढूंढ रहे हैंजो हम में है उसका ही पता ढूंढ रहे हैं … Read More
मीत बनायें होली में | होली सम्बन्धी दोहे | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ मीत बनायें होली में मनभावन रंग गुलाल,उड़े अब होली में,नित ऑचल नेह फुहार,पड़े अब होली में।सद्भाव विकास की,गंग-तरंग … Read More
नवल सृजन के अंकुर फूटें शान्ति दूत बन काल-चक्र को,हमें नियंत्रित करना होगा ,रक्षा कातर मानवता की,सत्य-न्याय हित करना होगा। टेक। उजड़ा घर , वीरान शहर है,विश्वपटल पर मचा कहर … Read More
औरत पर कविता | Kalpana Awasthi New Kavita किन किन निगाहों से वो दो-चार होती हैऔरत क्यों सारी उम्र अखबार होती हैकभी मां बनी, कभी बनी बहनकभी बेटी बनी कभी … Read More