पूर्वोत्तर की लक्ष्मीबाई : रानी गाइडिंल्यू (रानी गिडालू)
स्वाधीनता आंदोलन के गदर में भारत की आजादी के लिए हजारों वीर जीवन कुर्बान हो गये। अनगिनत अमर शहीदों का वंश तक समाप्त हो गया। वो वीर सपूत या तो … Read More
स्वाधीनता आंदोलन के गदर में भारत की आजादी के लिए हजारों वीर जीवन कुर्बान हो गये। अनगिनत अमर शहीदों का वंश तक समाप्त हो गया। वो वीर सपूत या तो … Read More
बजी दुन्दुभी फिर चुनाव की,मतदाता जागो।संविधान सम्मत अपना तुम,सारा हक मॉगो।टेक। राजनीति के सफल खिलाड़ी,ऑसू भी घड़ियाली हैं,खद्दर पहन बने छैला ये,बॉट रहे हरियाली हैं।नहीं तुम्हारी चिन्ता इनको,सीमा तुम लॉघो।बजी … Read More
ज़िन्दगी आसान तो भी नही थी।लिखती रहीफाड़ती रहीबहुत सारे शब्द हवाओं में उड़े।जरूर बतियाए होंगे मेरे बारे में। वो चिमनी की काॅंपती लौ भीकुछ तो सोचती रही होगी,जब उसको हाथों … Read More
1.मंगलमय संवत्सर होगा मंगलमय संवत्सर होगा,स्नेह लुटाता दिनकर होगा।पुलक थिरकती कण-कण धरती,मधुमय जीवन रूचिकर होगा।टेक। शस्य-श्यामला पावन भू पर,बासन्तिक अनुराग मिलेगा,कोंपल-कोंपल कलिका महके,मलयज फाग-सुहाग मिलेगा।वन-उपवन नव फुनगी महके,गीत बसन्ती मधु … Read More
फागुनी रंग में रंगा प्रेरणा का एक होली गीत ।!!!!!!!!! रंग लगाएं होली में !!!!!!!!!आओ हम सब मिलजुल कर ,त्यौहार मनाएं होली में ।प्रेम-स्नेह औ मर्यादा के ,रंग लगाएं होली … Read More
‘इस बार फागुन में’ खिला टेसू, पलक भीगी ,सखी! इस बार कानन में।चुनरिया भी बुलाती है;मिलो इस बार फागुन में।। हुए किसलय ये प्यासे हैं,कपोलों को तनिक देखो!कली गाने लगी … Read More
फिर से अब नव बसंत आया,आया तो सबके मन को भाया।पीत फूल सरसों के फूल गए,उन पर आकर भंवरे भी झूल गए।महक उठी फूलों की क्यारियां,भंवरे अपने घर की राह … Read More
प्रीति भरी बातों के कुछ पलप्रतीक्षारत मुलाकातों के कुछ पलभंगिमाओं के, भावों के कुछ पलरिक्तता के, आभावों के कुछ पलअधिकार भरे मानों के कुछ पलस्वप्न भरे अरमानों के कुछ पलतुम्हारे … Read More
कवि अपने समय का सजग प्रहरी होता है। वह अपने समय और समाज की प्रत्येक गतिविधि पर पैनी नज़र रखता है और समाज के सार्थक विकास में आनेवाली अड़चनों – … Read More
बाल कविता आओ चीकू,आओ पीहू ,मिलकर मकरसक्रांति मनाएं।आओ बेबू ,आओ कुहू,रंग बिरंगी पतंग उड़ाएं। ले धरती से नभ तक पहुँची ,नाप रही वो अम्बर का छोर।खुश होकर ,गुनगुन ! बोली,भइया … Read More
किसान शहीद दिवस पर | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’ मातृभूमि के लिए लड़े,और लिख दी नई कहानी।जिनके लहू से लाल हुआ था,सई नदी का पानी।दन-दन-दन-दन गोली चलती,आगे बढ़ते जाते।इंकलाब का … Read More
हे !इस जग के तारणहार, जन- जन का है तुम्हें प्रणाम।आकर पावन करो धरा को ,आलोकित कर दो हर धाम।।एक बार फिर आओ राम । राह तुम्हारी देख रही हैं … Read More
आ रहे राम। हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश आ रहे राम,इतिहास नया फिर गढ़ने को,दुष्ट दानवों को पछाड़ आगे बढ़ने को।टेक। चर-अचर प्रफुल्लित लगते हैं,मधु वारिद नेह बरसते हैं।सोंधी गन्ध महकता मरुथल,गिरि-निर्जन … Read More
राम की वेदना | Ram ki Vedana अश्रु झरे थे अवध नगर के महलों और गलियारों सेछोड़ चले सब धरम धुरंधर,आंगन और चौबारों से।**राजमहल में सोने वाले,राजकुंवर के कोमल तन,उधर … Read More
स्वागत | सम्पूर्णानंद मिश्र पूरा देशखड़ा हैनववर्ष के स्वागत में दरअसलअतीत के घावजो हमारी देह पर थे कुछ सूख चुके हैंकुछ सूख रहे हैंऐसे मेंकड़वी स्मृतियों के कांटेंउस घाव कोफिर … Read More