यह पूछ रहा मन मेरा /हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश’
यह पूछ रहा मन मेरा तुम जाओगी!कब आओगी?यह पूछ रहा मन मेरा,यादों की सौगात सहेजे,पुलक थिरकता तन मेरा।टेक। मनहर बातें सॉझ सुहानी,मीरा जैसी तुम दीवानी,बूॅद-बूॅद रस अधर टपकता-छलके कंचन तेरी … Read More
यह पूछ रहा मन मेरा तुम जाओगी!कब आओगी?यह पूछ रहा मन मेरा,यादों की सौगात सहेजे,पुलक थिरकता तन मेरा।टेक। मनहर बातें सॉझ सुहानी,मीरा जैसी तुम दीवानी,बूॅद-बूॅद रस अधर टपकता-छलके कंचन तेरी … Read More
स्मृति शब्दाधारित रचना। मन्द-मन्द तेरी मुसकान स्मृति में चुपके से तेरा,वह घूॅघट पट सरकाना,पॉव दबा कर आते तेरे,पग-नूपुर का बज जाना।तृप्ति कहॉ मिल पाती बोलो,लुक-छिप प्रणय निवेदन में,मधु भरे हठीले … Read More
‘मुसाफिर’, शब्दाधारित रचना मुसाफिर प्यार का बन कर,सफर आसान कर लेना,नहीं कुछ और जीवन में,सफल अभियान कर लेना।टेक। कदम तुमने बढ़ाये हैं,कहॉ मंजिल तुम्हारी है,सफल जो हो गया चलकर,उसी की … Read More
सरकार टमाटर बेंच रही विपक्ष रोटियॉ सेंक रहा,सरकार टमाटर बेंच रही,दिल्ली मैं सड़कों पर नौका,भोली जनता सब देख रही।टेक। लाल किला में पानी है,पानी ने आफत ढ़ाई है,घर से बेघर … Read More
परवाह किसे है /शैलेन्द्र कुमार मेरा स्वास्थ्य ठीक नहींहमेशा तनाव में रहता हूंँअकेला पड़ गया हूं मैंमर जाऊं, यही सोचता रहता हूंँ किंतु परवाह किसे है? परिवार ने जली-कटी सुनाईबीमारी … Read More
Motivational Hindi Poem| Motivational Kavita in Hindi जीना है तो मरना सीखो चमकना है सूरज सा तोउसके जैसा जलना सीखोकीमती बनना है सोने सा तोकुंदन सा तपना सीखोमहकना है फूलों … Read More
अनुभवों का कोई मोल नहीं / शैलेन्द्र कुमार पिता ने मुझसे कहालिख लो सब डायरी में मैंने कहा सब फोन में नोट हैउन्होंने दोहरायाफिर भी…जो बहुत जरूरी हो लिख लो … Read More
अकेलापन पिता का / शैलेन्द्र कुमार अक्सर चुप रहते हैं पिता मेरेधीरे-धीरे मेरे कमरे में आते हैंबैठ जाते हैं, बैठे रहते हैंप्रतीक्षा करते हों जैसे मेराकि मैं बात शुरू करूंगा। … Read More
सपनों में मॉ तुम ही तुम हो। धक-धक चलती सॉस मेरी तुम,रोम-रोम में तुम ही तुम हो,अधरों की मुसकान तुम्हीं से-सपनों में मॉ तुम ही तुम हो।टेक। तुमसे जीवन-जगत बना … Read More
प्यारी मां पल-पल याद तुम्हारी आए,मेरी प्यारी-प्यारी मां।तुझको भुलाऊं भूल ना पाऊं,मेरी प्यारी-प्यारी मां।भूख लगे जब दौड़ के आती,दूध-भात भी साथ में लाती।अपनी गोदी में बैठाकर,अपनें हाथों मुझे खिलाती।जब भी … Read More
मां बहुत याद आती हो! दुनिया की नज़रों से छुपाती थीमुझे अपने सीने से लगाती थीतुम्हारे दूध का कोई मोल नहींमां तेरी ममता का कोई तोल नहींगीले में सोकर सुखे … Read More
मांँ केवल इक शब्द नहीं, वह शब्दकोश से ज़्यादा है।अंतर्मन से महसूस करो वह अंतर्-बोध से ज़्यादा है।।वह प्यार भरा स्पर्श उसका करता है तन की थकन दूर।वह ममतामयी डपट … Read More
बुद्ध बनना आसान नहीं है! ( बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर) गालियों को गलानेईर्ष्या को जलानेअहंकार का विष पीनेमान-अपमान में समभाव जीनेका जब अभ्यास हो जायतो व्यक्ति बुद्ध बनता हैयह … Read More
मॉ गीत विरद तव गाऊॅ | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश पदरज आज सजा मेरे माथे,मॉ गीत विरद तव गाऊॅ,ऋषि-मुनियों ने ध्यान लगाया,मॉ मैं भी तुझको ध्याऊॅ।टेक। कृपा मिले तो भव सागर से,पार … Read More
सर्वहारा | सम्पूर्णानंद मिश्र हां मैं सर्वहारा हूंलेकिन हारा नहीं हूंथका नहीं हूंरुका नहीं हूंझुका नहीं हूंटूटा नहीं हूंकर्म में जुटा हूंईमान- पथ परअविचलित होते हुएनिरंतर अथक चलता रहता हूंरुकना … Read More