तेरा मेरा नाता | आशा शैली | हिंदी कविता
तेरा मेरा नाता नदी नीर के नाते जैसा, तेरा मेरा नातातुझे पकड़ने दौडूँ मैं पर तू ओझल हो जाता परछाईं सूरज से मिलकर जैसे सब को छलतीतेरी मेरी लुकाछिपी भी … Read More
तेरा मेरा नाता नदी नीर के नाते जैसा, तेरा मेरा नातातुझे पकड़ने दौडूँ मैं पर तू ओझल हो जाता परछाईं सूरज से मिलकर जैसे सब को छलतीतेरी मेरी लुकाछिपी भी … Read More
हितकारी हर बुद्धि विमल हो। गिरजाघर,गुरुद्वारा जाकर,मन्दिर,मस्जिद दौड़ लगाकर,मन को शान्ति नहीं मिल पाई,चौखट-चौखट दीप जलाकर । टेक। सतरंगी परिधान रुपहले,सपनों के वे महल-दुमहले,तेरी सुधि की अमराई में,भटके कदम चले … Read More
1 . जल रही धरा,रो रहा गगन अब ऐसा कुछ कर दो प्रभुवर,प्रसरित हो सुख-शान्ति धरा पर।1। अहम्-वहम् सब दोष मिटा दो,नित जन-जन पर हो करुण-नजर।2। जल रही धरा रो … Read More
दुविधा अथाह बलकिस काम काजिसकी खुली आंखेंधर्म की ध्वजा फटतेदेखती रहींरक्षार्थ चीखती रहीएक स्त्री की आत्मातब वह विवशता का मनहूसगीत गाता रहाशोभित होता हैऐसा पुरुषार्थ सिर्फ़ और सिर्फ़ दर्पण मेंशरशैय्या … Read More
शंखनाद पूर्णसत्य तोयुधिष्ठिर भी नहीं चाहते थेजिन्हें माना जाता थासत्यनिष्ठ वे राज़ी थेसुविधाजनक सत्य पर सत्यसुविधाजनक होतो आसानी सेबदला जा सकता हैअसत्य से सत्यछिपाया जा सकता हैशंख बजाकरघड़ियालनगाड़े बजाकर उसके … Read More
१. राष्ट्र वाद के शंखनाद से,नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है।××××××××××××××××××× राष्ट्र वाद के शंखनाद से,नव वर्ष तुम्हारा स्वागत हो,धर्म-कर्म सद्भाव सुसज्जित,अनुपल जीवन आगत हो।टेक। कण-कण में उल्लास छलकता,वन,उपवन हर गॉव … Read More
नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन! नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन!माथे पर मलयागिर चंदन।। यह प्रात सजाए थाल खड़ी।तुम आए लेकर सुखद घड़ी।।शिशु भारत करता पद वंदन।नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन।। स्वागत में प्राची … Read More
क्या बना दिया ? देख रहे हो ऐसे यह तुमको नहीं ख़बरयह आद’मी था कभी धुआं बन गया ।। जिस मांझी ने हमको बताया तू है कहां ?उस मांझी ने … Read More
दर्द छलक उठा धर्म जबमज़हबी ऐनक लगा लेता हैकुछ भी नहीं दिखाई पड़ता है तब उसेपार्थक्य नहीं कर पाता हैसही और ग़लत कावह और भी हिंसक हो जाता हैवैसे भी … Read More
लाज की ओढ़नी फिर पड़ी बांधनी | पुष्पा”शैली” दीप जगमग हुआ,प्रीति ने मन छुआ।गागरी भर उतरने लगी चांदनी।मन से मन जब मिला, तम लजाकर गिरा।लाज की ओढ़नी फिर पड़ी बांधनी। … Read More
पलायन | दर्पण | Hindi kavita | अभिमन्यु पाल आलोचक 1. पलायन मैं छोंड़ आया वो शांत गाँवमुझको शहरों का शोर पसंद है। स्मृति के चित्र चित पर छपकरपीड़ित मन … Read More
१. सप्तर्षि का कंगन पहने सप्तर्षि का कंगन पहनेअंबर कुछ मुस्काता है। धीमे-धीमे, सॅंवर-सॅंवर करचंद्र किरण बिखराता है।। धूप पूजती पाॅंव धरा केजलधि प्रणाम सुहाता है।। डोल-डोल कर मलय प्रफुल्लितसरगम … Read More
होंठों पर रस-गागर धर दो | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ हौले से छू लो तन मेरा,माटी कंचन हो जाये,सॉसों के इस महल-दुमहले,का अभिनन्दन हो जाये।टेक। रोम-रोम सिहरन भर जाती,भोर-प्रभाती या सॅझवाती,किससे … Read More
हिन्दू नव वर्ष पर कविता 2022 – Hindu New Year Poem in Hindi – हिन्दू नव वर्ष पोएम इन हिंदी – Hindu Nav Varsh Kavita Hindi me नवसंवत्सर झड़ गए … Read More
‘लिखो न उदासी’ | रश्मि लहर | Hindi Kavita ‘लिखो न उदासी’ डुबो दो खुशी में, लिखो न उदासी।तुम्हें फिर है लिखना कोई गीत साथी।।भरो भावनाएं अलंकृत करो नेह,पुकारो कलम … Read More