सियासत में कयादत बोलती है | आशा शैली

सियासत में कयादत बोलती है | आशा शैली सियासत में कयादत बोलती हैमगर सिर चढ़के दौलत बोलती है जवां कुर्बान होते हैं वतन परकि सीमाओं पे हिम्मत बोलती है अदब … Read More

कमरे की आवाज़ | सम्पूर्णानंद मिश्र

कमरे की आवाज़ | सम्पूर्णानंद मिश्र संदेश देती हैघड़ीवक्त की धारा में डुबकी लगाओ संदेश देता है पंखादिमाग ठंडा रखो न बहाओ क्रोध का पसीना अनावश्यक छत कहता हैबड़ा सोचो … Read More

कितनी बार टूटता है | सम्पूर्णानंद मिश्र

कितनी बार टूटता है | सम्पूर्णानंद मिश्र बूढ़ेमां -बाप की‌ रोशनी होती हैंउनकी संतानें पूरी ज़िंदगीअपनी आंखोंकी रोशनी बेचकर संतानों कीख़्वाहिशों के आंगनमें उनके सपनों काजो पूर्ण चांद खिलाता हैवह … Read More

वह मात्र एक छलावा है | सम्पूर्णानंद मिश्र

वह मात्र एक छलावा है वैसे तोसुख की कोईपरिभाषा निश्चित नहीं है लेकिनअच्छी अनुभूति सुख का आधार हैऔर बुरी दु:ख का महात्मा बुद्ध ने कहाजीवन में दुःख ही दु:ख हैऔर … Read More

एक शिवाला | प्रतिभा इन्दु | हिंदी कविता

मेरे घर के भीतर आकरतुमने क्या से क्या कर डाला ,पहले था मेरा मन , मन साअब लगता है एक शिवाला ! सुबह – शाम घंटा , मन्त्रों सेध्वनि का … Read More

पुनर्पाठ |सम्पूर्णानन्द मिश्र

पुनर्पाठ कलझुंड में कई कुत्ते दिखेमुझे सड़क परभौंक रहे थे सब आपस में एकदूसरे को काट रहे थे देखते ही दौड़ेझुंड के कुत्ते सभी मेरी तरफ़ किसी तरह भागते- भागतेजान … Read More

कटघरे में अदालत के |सम्पूर्णानन्द मिश्र

कटघरे में अदालत के अपशकुनमानी जाती हैंस्त्रियांअगर वैधव्यका काला धब्बाउनके माथे पर हो चूड़ियां तकतोड़वा दी जाती हैंदूर बैठायी जाती हैंधार्मिक और शुभक्रिया कर्मों के अवसर पर अपमान और जलालतकी … Read More

कितनी बार | सम्पूर्णानंद मिश्र

कितनी बार अब मुझे मत मारो राम!एक अपराध की सजाकितनी बार मैं अपराधी थामाना कि सीता कामिलनी चाहिए सजा मुझेलेकिनराम कितनी बार हर बार मैं मर रहा हूंघुट-घुटकर जी रहा … Read More

विदाई लो श्रीमन् साभार आपका सरल मधुर व्यवहार | डॉ.रसिक किशोर सिंह नीरज

श्रीमान् आर.पी. सिंह (आई.ए.एस.) आयुक्त चित्रकूट धाम मण्डल बांदा (उ.प्र.) के निवृत्तमान होने पर नागरिक अभिनंदन भाव सुमन दिनांक 30 सितंबर 2023. विदाई लो श्रीमन् साभार आपका सरल मधुर व्यवहार। … Read More

अपने हिस्से का आकाश |सम्पूर्णानंद मिश्र

अपने हिस्से का आकाश ढोता हूं पूरी शिद्दत सेअपने हिस्से का आकाशताकिझरबेरी का पेड़उग सके मेरे आंगन में औरजिसका फलदे सके थोड़ी सी मुस्कान मेरे ओठों परताकि अब मुझे गिरवी … Read More

धूमिल याद आ गए |सम्पूर्णानंद मिश्र

धूमिल याद आ गए! मेरे समीपस्थ गांव केमेरे प्रिय कवि धूमिल यादआ गए आज याद आना लाजिमी थाक्योंकि पूरे देश ने उठाया थाएक तारीख़ कोएक घंटे श्रमदान करने की ज़िम्मेदारी … Read More

Param Hans Maurya ki Mohabbat par kavita

सारा शहर मोहब्बत में बीमार था। हर किसी को किसी का इंतजार था। किसी की आंखों में चाहत तो किसी के होठों पे इज़हार था। एक हम ही अकेले थे … Read More

देखो आज हमारी हिन्दी | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश

देखो आज हमारी हिन्दी भारत है सिरमौर विश्व का,सुन्दर भाल लगाये बिन्दी,यू एन ओ में गूंज रही है,देखो आज हमारी हिन्दी ।टेक। तुलसी ,सूर,कबीरा हिन्दी,सबसे कहती पीरा हिन्दी।नानक,रसखान,बिहारी व-श्याम दिवानी … Read More

हिंदी से पहचान हमारी |बाबा कल्पनेश

हिंदी से पहचान हमारी,मगन करे नभ गान।भारत माता के पुत्रों को,हिंदी है वरदान।।अँग्रेजों अब भारत छोड़ो,हिंदी की ललकार।थर्राए थे गोरे सुनकर,समझ गए निज हार।। था अगस्त अड़तालिस का वह,गए राष्ट्र … Read More

पहला-पहला जब शब्द सुना | Hindi Diwas Poetry in Hindi

हिन्दी पहला-पहला जब शब्द सुना ।माॅं ने हिन्दी को तभी चुना ।जब कलम हाथ में आई थी ।तन- मन में हिन्दी छाई थी !! तुतलाकर बोला प्रथम बार!निकला था मुॅंह … Read More