उबाल | पुष्पा श्रीवास्तव “शैली” रायबरेली
उबालआजादी के गीत के दो दिन पहलेऔर बाद में हीदेश भक्ति का उबाल रहता है।बाकी पूरे वर्ष स्वार्थ की धाराप्रवाह मान रहती है।कुछ नहीं होता वर्ष भर मेंगीतों के माध्यम … Read More
उबालआजादी के गीत के दो दिन पहलेऔर बाद में हीदेश भक्ति का उबाल रहता है।बाकी पूरे वर्ष स्वार्थ की धाराप्रवाह मान रहती है।कुछ नहीं होता वर्ष भर मेंगीतों के माध्यम … Read More
मातृभूमि के आऊॅ काज। मद भरे नयन बिन पिये कभी,लगता शराब पी लिया आज।1। तव रूप-सुधा से सराबोर,सपनों की डोली चले साज।2। इक बार कहो हॅस कर मुझसे,है मुझको तुम … Read More
सांसें विवेक की चलनी मेंचल जाती है जब बुद्धितब मनुष्य अनैतिकता कीज़हरीली हवा से विमुक्त होकरनैतिकता कीकिताब पढ़ने लगता है औरवह उस दिन सचमुच एक पूंछविहीनजानवर की सफ़ सेअसंपृक्त होकरधर्म, … Read More
मैं राजनीति हूं | दया शंकर मैं राजनीति हूं,राष्ट्र के निर्माण का इतिहास हूं,जाने अंजाने मुझे,विकास के हर सोपान पर,देनी पड़ती है परीक्षा,काश होती मेरी स्वस्थ समीक्षा,लाचारी, बेकारी की भीड़ … Read More
मणिपुर | Manipur Par Hindi Kavita | Manipur Hindi Poetry राजसभाजब द्यूतसभा में बदल जाएतब शासनदु:शासनऔर प्रजा पांचाली हो जाती है धृतराष्ट्रजब राष्ट्र का पर्याय बन जाएतब अंधापन बन जाता … Read More
झूठी सबकी पीर | हिंदी भजन | नरेंद्र सिंह बघेल झूठी सबकी पीर रे बंदे ,झूठी सबकी पीर रे !झूठी सबकी पीर ।।माया में तू क्यूँ भरमाया ,साथ न कोई … Read More
मेरी अंतिम यात्रा | वेदिका श्रीवास्तव हे! नाथ मेरे क्या चाहूं मैं बस दर्शन अपना दे देना,है आस मेरी जन्मों की ये चरणों में जगह तुम दे देना।। जब जाऊं … Read More
मुहब्बत कर ली तन्हा जीवन,ग़म की रातें,मीठी- मीठी,दूर कही थी बातें,किसी पर विश्वास ना रहापर एक खोज,चलता रहा————!!!!!!!??फिर एक रोज एक फरिश्ता आया,साथ में प्रेम की पूरी दुनिया लाया,एहसास की … Read More
मासूम मेरे दिल को,दुखाया न कीजिए। यूॅ छोड़ करके तनहॉ,जाया न कीजिए,जलती हवन में हाथ,जलाया न कीजिए।1। हर सू भटक के पास,तुम्हारे ही आयेगा,आवारगी इस दिल की,भुलाया न कीजिए।2। इस … Read More
कब तक | पुष्पा श्रीवास्तव शैली कब तक? जल रहा है देश लेकिन मौन साधे,किस दिशा से बात करना चाहते हो।राख भी ठंडी हुई अब तो जले की,कौन सा दुख … Read More
मणिपुर के बाद बंगाल | सम्पूर्णानंद मिश्र धृतराष्ट्रदेख नहीं सकता थाअंधा था और जो कुछ देखादूसरे की आंखों से दूसरे की आंखों सेदेखी और सुनी हुई बातेंसत्य से कोसों दूर … Read More
जिसने हाथ पकड़ कर पग-पग,चलना मुझे सिखाया,प्रिय समाज के रिश्ते-नातों,से परिचय करवाया।टेक। नमन सदा उनके चरणों में,बारम्बार प्रणाम करूॅ,स्नेह,दया,करुणा,ममता का,दर्शन आठों याम करूॅ।धर्म-कर्म,सहयोग,त्याग का,पावन पथ दिखलाया।जिसने हाथ पकड़कर पग-पग,चलना मुझे … Read More
यह पूछ रहा मन मेरा तुम जाओगी!कब आओगी?यह पूछ रहा मन मेरा,यादों की सौगात सहेजे,पुलक थिरकता तन मेरा।टेक। मनहर बातें सॉझ सुहानी,मीरा जैसी तुम दीवानी,बूॅद-बूॅद रस अधर टपकता-छलके कंचन तेरी … Read More
स्मृति शब्दाधारित रचना। मन्द-मन्द तेरी मुसकान स्मृति में चुपके से तेरा,वह घूॅघट पट सरकाना,पॉव दबा कर आते तेरे,पग-नूपुर का बज जाना।तृप्ति कहॉ मिल पाती बोलो,लुक-छिप प्रणय निवेदन में,मधु भरे हठीले … Read More
‘मुसाफिर’, शब्दाधारित रचना मुसाफिर प्यार का बन कर,सफर आसान कर लेना,नहीं कुछ और जीवन में,सफल अभियान कर लेना।टेक। कदम तुमने बढ़ाये हैं,कहॉ मंजिल तुम्हारी है,सफल जो हो गया चलकर,उसी की … Read More