नव संवत्सर | हिंदी कविता | डाॅ. बी.के.वर्मा ‘शैदी’

नव संवत्सर | हिंदी कविता | डाॅ. बी.के.वर्मा ‘शैदी’ भारतीय नव संवत्सर केस्वागत_समारोहों के बारे में जानकर,मेरे पोते ने मुझ से पूछा:“दादा जी!New Year तो हमतीन महीने पहले ही मना … Read More

विश्व कविता दिवस के शुभ अवसर पर कविता | प्रतिभा इन्दु

दे चुका सब कुछ तुम्हें मन अब न कुछ भी पास हैं.जो खड़ा खण्डहर उसी का,यह सही इतिहास है। मूर्तियां खण्डित हुई हैंजो किसी ने तोड़ डालेमूक बनकर कह रहे … Read More

यह अपना नववर्ष | प्रतिभा इन्दु | Hindu Nav Vrsh Kavita

यह अपना नववर्ष | प्रतिभा इन्दु | Hindu Nav Vrsh Kavita हवा बसंती , कोयल गातीबैठ आम की डाली ,मादक महुए के सुगंध सेहुई दिशा मतवाली ,मधुमय मौसम बिखरा सौरभछाया … Read More

तुम्हारा प्यार ही तो है | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश

तुम्हारा प्यार ही तो है | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश तुम्हारा प्यार ही तो है,जो माधव बनकर आया है,बिखेरो स्नेह की खुशबू,सन्देशा सबको लाया है।टेक। नहीं शिकवे-गिले कोई,चॉदनी चॉद में खोई ,किसे … Read More

देख लो आम के बौर को बेटियों | पुष्पा श्रीवास्तव शैली

देख लो आम के बौर को बेटियों देख लो आम के बौर को बेटियों,और पगडंडी की दूब पर बैठ लो।कूक कोयल की समझो जरा ध्यान से,आम महुए से बतियाते आराम … Read More

बदनसीबी | संपूर्णानंद मिश्र

बदनसीबी बदनसीबी जब आती हैअपना ही मुंह बिराती है बदनसीबी की मारीउस बेटी कीआंखें जब खुलीतब गंदीबस्तियां स्वागत मेंखड़ी थी उसके एक गहन अंधेरे मेंबदनसीब बच्चीभविष्य का असफलउजाला ढूंढ़ रही … Read More

अर्चना | सम्पूर्णानंद मिश्र

अर्चना | सम्पूर्णानंद मिश्र अर्चनाकीअभिव्यक्तिगूंगे के मीठे फल जैसा है जिसकारसास्वादन सिर्फ़ किया जा सकता हैवर्णन नहीं जीवन मेंउनकीअर्चना होनी चाहिए अवश्य जोत्याग के धागेऔर समर्पण की सूईसे संबंधों के … Read More

कान्हा के संग प्रीत | छंद | नरेंद्र सिंह बघेल

कान्हा के संग प्रीत | छंद | नरेंद्र सिंह बघेल कान्हा के संग प्रीत के गीत की ,नीति की रीति सिखा गई राधा ।हाँथ पकर बरजोरी करैं जब ,हार के … Read More

रिश्तों से हलकान मिला | रश्मि लहर

रिश्तों से हलकान मिला | रश्मि लहर रिश्तों से हलकान मिलाटुकड़ों बॅंटा मकान मिला हर पग पर तूफ़ान मिलासफर कहाॅं आसान मिला न थीं निभाने की कसमेंप्रेम गुॅंथा अनुमान मिला … Read More

सांवले कदम | पुष्पा श्रीवास्तव शैली

सांवले कदम | पुष्पा श्रीवास्तव शैली कड़कड़ाती ठंड मेंमैंने देखा उन नन्हे नन्हे सांवलेक़दमों को प्लेटफॉर्म पर दौड़ते हुए,जो शायद सर्दी कोया हम सबको जो अपने आप को उपर से … Read More

विद्याधिप की प्रतिमूर्ति : डॉ संतलाल

विद्याधिप की प्रतिमूर्ति : डॉ संतलाल गुरुदेव डॉ० संतलाल को सरलता, सज्जनता, विनम्रता, विद्वता की प्रतिमूर्ति कहूँ तो अतिश्योक्ति न होगी। उनके लिए ये शब्द भी कम हैं, क्या करूं … Read More

नगरवधू | सम्पूर्णानंद मिश्र

नगरवधू आम्रपालीतुम बहुत सुंदर थीयही तुम्हारा कसूर थाइसलिएतुम्हारे सौंदर्य का पान करने के लिएवैशाली और मगध निरंतर लड़ते रहेएक बार नहींसौ बार फाड़ी गई मर्यादा की चादरपिता- पुत्र के द्वाराप्रतिद्वंद्वी … Read More

लघुकथा | विरोध | रश्मि लहर | Short Story in Hindi

लघुकथा | विरोध | रश्मि लहर | Short Story in Hindi “अम्मा जी! ननदोई जी के साथ हम होली नहीं खेलेंगे, उनके ढंग ठीक नहीं हैं।वो होली के बहाने इधर–उधर … Read More

मिलो इस बार फागुन में | रश्मि लहर

मिलो इस बार फागुन में | रश्मि लहर खिला टेसू धरा महकी मिलो इस बार फागुन में।मिलन-सुधि भी मिली बहकी, मिलो इस बार फागुन में।। हुए शाखों के रक्तिम से,कपोलों … Read More

संग हम साथ होंगे | सम्पूर्णानंद मिश्र

संग हम साथ होंगे | सम्पूर्णानंद मिश्र क्योंभाग रहे होहाथ मेरा छुड़ा रहे होमैं लेने जब आऊंगीलेकर ही जाऊंगीफिर भी भाग रहे होबाहें मेरी छुड़ा रहे होकत्ल भी करते होइल्ज़ाम … Read More