जो गलत है उसका विरोध करो | अभिमन्यु पाल आलोचक
जो गलत है उसका विरोध करो | अभिमन्यु पाल आलोचक जो गलत है उसका विरोध करो निर्भीक बनो अवरोध करोजो गलत है उसका विरोध करो,यदि मानव हो तो मानव बनकरतुम … Read More
जो गलत है उसका विरोध करो | अभिमन्यु पाल आलोचक जो गलत है उसका विरोध करो निर्भीक बनो अवरोध करोजो गलत है उसका विरोध करो,यदि मानव हो तो मानव बनकरतुम … Read More
सखी नदिया की रेत तपे / आशा शैली सखी नदिया की रेत तपेप्रीत निगोड़ी सुनहु सखी,मरने ना जीने देसखी नदिया की रेत तपे जाने कब घन गगन घिरेकब साजन घर … Read More
सृजन– गीत कब गायेगा | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ विश्व परिदृश्य का समसामयिक गीत सृजन – गीत कब गायेगा। कोई बता दे मानवता का ,परचम कब लहरायेगा,तहस-नहस को आतुर मानव,सृजन-गीत कब … Read More
आ जाओ गौरैया | डॉ सम्पूर्णानंद मिश्र आ जाओ गौरैया आ जाओ गौरैया रानीफुदकती हुई मेरे छत परचीं चीं चूं चूं का स्वरमेरे सहन में बिखरा जाओतुम कैसी हो ?कहां … Read More
होली | तोमर छंद | बाबा कल्पनेश होली विधा-तोमर छंद कर होलिका का दाह।कह कौन करता आह।।प्रह्लाद जपता राम।पाता जगत विश्राम।। तब ही मनाते सर्व।हर वर्ष होली पर्व।।रे मूढ़ मन … Read More
Hindi kavita | Hindi Poems | Poetry | आशा शैली 1 किस खोज में हैं और ये क्या ढूंढ रहे हैंजो हम में है उसका ही पता ढूंढ रहे हैं … Read More
मीत बनायें होली में | होली सम्बन्धी दोहे | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ मीत बनायें होली में मनभावन रंग गुलाल,उड़े अब होली में,नित ऑचल नेह फुहार,पड़े अब होली में।सद्भाव विकास की,गंग-तरंग … Read More
नवल सृजन के अंकुर फूटें शान्ति दूत बन काल-चक्र को,हमें नियंत्रित करना होगा ,रक्षा कातर मानवता की,सत्य-न्याय हित करना होगा। टेक। उजड़ा घर , वीरान शहर है,विश्वपटल पर मचा कहर … Read More
औरत पर कविता | Kalpana Awasthi New Kavita किन किन निगाहों से वो दो-चार होती हैऔरत क्यों सारी उम्र अखबार होती हैकभी मां बनी, कभी बनी बहनकभी बेटी बनी कभी … Read More
इन्हीं आंखों ने देखा है | डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र शिष्टजनक्याइन्हीं आंखों ने देखा है ?सारा मंज़रअपना छिनता हुआ बचपन हां भाई देखा है इन्हीं आंखों ने! बाजार के गोलगप्पे जहां … Read More
गाओ गीत जगत हितकारी / बाबा कल्पनेश आज का छंद-माता परिचय-एकादक्षरावृत्ति गाओ गीत जगत हितकारी।पाओ मीत हृदय दुखहारी।।मिथ्या है सुख-दुख कर नाता।गाते वेद जगत यह गाता।। तोड़ो बंध सकल जग … Read More
बोलो कबीर आशंका अविश्वासनकारात्मक सोचकी कुक्षि सेअहंकार और ईर्ष्या का उदय होता हैजिसका पथ जाता हैसीधे विनाश के गड्ढे मेंमाने बैठें हैं सत्य इसी कोकुछ तथाकथितजो छल, पाखंड, ढोंग और … Read More
होली के छंद / बाबा कल्पनेश होली विधा-कुंडलिया होली की बोली सुखद,स र र र बोल कबीर।लाल कमल के जीत पर,जग में उड़े अबीर।।जग में उड़े अबीर,बुरा माने है कोई।लेकिन … Read More
होली पर कविता 2022: Holi Poem Kavita in Hindi | रंग लगाएं होली में फागुनी रंग में रंगा प्रेरणा का एक होली गीत । नरेंद्र सिंह बघेल की रचना आपके … Read More
प्रकृति के “आंचल” की सौगात का एक दृश्य बिंब ,एक लघु प्रयास । भेद कर तम का प्रहर फिर ,भुवन भाष्कर आ गया ।धूप का “आँचल “सुनहरा ,फिर क्षितिज पर … Read More