Mudit Mana Maa – मुदित मना माँ /बाबा कल्पनेश
Mudit Mana Maa – मुदित मना माँ /बाबा कल्पनेश उज्ज्वला छंद मुदित मना माँ चार चरण दो–दो चरण सम तुकान्त मापनी-212 212 212 (अंत 2 1 2 अनिवार्य … Read More
Mudit Mana Maa – मुदित मना माँ /बाबा कल्पनेश उज्ज्वला छंद मुदित मना माँ चार चरण दो–दो चरण सम तुकान्त मापनी-212 212 212 (अंत 2 1 2 अनिवार्य … Read More
क्या, लोक भाषा में सामान्य बोल–चाल तथा साहित्य की भाषा में अन्तर नहीं होना चाहिये? sookshm avalokan: विगत में कुछ लम्बी अवधि से मैं अवलोकन करता आ रहा हूँ कि क्षेत्रीय बोली के नाम पर अधिकतर व्यक्ति,बोलते कुछ हैं और लिखते कुछ हैं … Read More
corona jagrukta par kavita कोरोना-संकट कीटाणु- बम विस्फोट हुआ कोरोना विषाणु का जन्म हुआ । संक्रामक और दुष्ट कीट ने , जग के कोने- कोने को छुआ। अखिल विश्व में … Read More
Mera astitva मेरा अस्तित्व इक छोटी सी हार से, कभी रुकना मत जो गलत हो उसके समक्ष कभी झुकना मत लोगों का क्या है पल में अपनी सोच बदल लेते … Read More
fikar not hindi short story फिकर नॉट लघु कथा रामू सुबह-सुबह शराब पीकर लड़खड़ाते हुए आ रहा था। मुझे देखते ही दोनों हाथ जोड़ लिये और कहना लगा, दीदी … Read More
jhuka hua dhvaj kavita-झुका हुआ ध्वज/सम्पूर्णानंद मिश्र झुका हुआ ध्वज रामनाथ तुम क्यों लड़खड़ा रहे हो ? तुम्हारे ओंठ क्यों फड़फड़ा रहे हैं क्या बात है तुम्हारे चेहरे का ध्वज क्यों झुका हुआ है पूरा देश नववर्ष का जश्न मनाने जा रहा है तुम्हारी चाल में फिर इतनी सुस्ती क्यों है रामनाथ ने कहा साहब ! हम लोगों के लिए नववर्ष का कोई अर्थ नहीं है मुझ जैसे गरीबों के लिए सब व्यर्थ है रोज़ कुंआ खोद कर पानी पीना है … Read More
hindi poetry aajamaish kalpana Awasthi kee आजमाइश इतनी कड़ी आजमाइश से मुझको गुजरना पड़ा, संवर रही थी जज्बातों से,पर टूट कर बिखरना पड़ा . कुछ चिरागों की रोशनी से ,अंधेरों से लड़ रही थी मैं . बसंत के मौसम में भी,पतझड़ के पत्तों -सी झड़ रही थी मैं . जिंदगी की किताब के पन्ने में, कहानी बन छप रही थी मैं, जेठ की गर्मी में खुले आसमां के नीचे तप रही थी मैं , क्या सोचा था, क्या किया यह सवाल सामने खड़ा था, डरा रही थी मुश्किलें, पर हौसला उससे भी बड़ा था, कह दिया मैंने भी, डरा मत मैं मुश्किलों से नहीं डरती, जो असंभव हो बस उसे ही संभव मैं करती , फिर उस जगह भी मुझे खुद को साबित करना पड़ा, इतनी कड़ी आजमाइश से मुझको गुजरना पड़ा । मानती हूँ कल्पना हूँ ,पर अपनी कल्पना साकार करूंगी , मैं बिना कुछ सबसे अलग किए चैन से कहाँ मरूंगी, मैं इक सीख, एक मिसाल बन जाऊं औरों के लिए , बस ऐसा हो जाए, जो जैसा चाहे मेहनत से, बस … Read More
kitna akela hoon main-कितना अकेला हूँ मैं/शैलेन्द्र कुमार कितना अकेला हूँ मैं नींद नहीं आती मौत भी नहीं आती, कितना अकेला हूँ मैं। आँखें हैं खोई-खोई रात भी ढलती नहीं, कितना अकेला हूँ मैं। रोने को जी चाहता है आँसू भी साथ छोड़ गए, कितना अकेला हूँ मैं। सब सो रहे सुख की नींद इतनी रात जाऊँ कहाँ, कितना अकेला हूँ मैं। उसने तो दिल तोड़ दिया परिवार भी याद करता नहीं, कितना अकेला हूँ मैं। मुझको कितना देती विश्राम खुद रो रही चारपाई मेरी, कितना अकेला हूँ मैं। करवट बदलता रहा सारी रात, कितना अकेला हूँ मैं। कोई नहीं समझाने वाला मेरी समझ में कुछ आता नहीं, कितना अकेला हूँ मैं। लोगों को मिल जाते हैं कितने साथी यहाँ एक भी साथी साथ निभाता नहीं, कितना अकेला हूँ मैं। ज्वर भी आ-आकर चला गया बीमारी भी साथ देती नहीं, कितना अकेला हूँ मैं। उसने उपेक्षित किया इस कदर एक बार भी नहीं सोचा उसने, … Read More
baba kalpnesh patriotic geet-वतन पूँछे दुखी होकर अखंडित कब बनाओगे/बाबा कल्पनेश वतन पूँछे दुखी होकर अखंडित कब बनाओगे रचे जो कीर्ति की माला उसी की कीर्ति होती है। उसी की कीर्ति गायन से मनुजता प्रीति बोती है।। कभी यह विश्व लेकर के हमीं से गीत गाता था। वही निज अंक में भर कर धरा अधुना सँजोती है।। सनातन से अखंडित है यहीं के प्रेम की धारा। यहीं से तड़तड़ातड़ टूटती है मनुज की कारा।। हमारा ज्ञान लेकर के रचे सद्ग्रंथ दुनिया ने। यहीं से धर्म का उद्भव जगत ये जानता सारा।। भगत-आजाद जो भोगे उसे क्या भूल जाना है। अभी आतंक सीमा पर बढ़ा उसको मिटाना है।। … Read More
maa bharti patriotic geet माँ भारती ओ मेरे दुख सुख के साथी,वंदना तेरे नाम की, सारी खुशियाँ दे दी तूने, बिन कहे बेदाम की। ओ मेरे दुख सुख के … Read More
मेमने की व्यथा/अंजली शर्मा | memane kee vyatha मेमने की व्यथा “मेमने ने माँ से पूछा, माँ कत्ल कैसे होता है और बलि कैसे चढ़ाई जाती है। मेमने के सवाल से माँ घबराई मेमने का चेहरा देख सकपकाई, मेमने से पूछा, ये बात तेरे दिमाग में, अचानक कैसे आई। मेमना बोला, माँ चंपू कह रहा था उसका भाई पंपू बलि चढ़ गया, पिता का कुछ दिन पहले कत्ल हो गया। माँ बाजार में बेच दी गयी, बहन किसी और के घर भेज दी गयी। अब मैं अकेला हूँ, मालिक के बच्चों का इकलौता खिलौना हूँ। … Read More
स्वाधीन राष्ट्र (svaadheen raashtr) स्वाधीन राष्ट्र प्रिय राष्ट्र , तू ही ज़िन्दगी । तुझको हमारी बंदगी ।। तू ही तो जीवन – गीत है । आनंदमय संगीत है ।। यदि तू नहीं – तो हम नहीं । सुख भी मिले तो सुख नहीं । स्वाधीनता में दुःख मिले । सह लेंगे – यदि कांटे मिले ।। स्वतन्त्रता से जिये हम । सर्वोच्च मस्तक किये हम ।। नहीं आंच आए देश पर । बलिदान हों स्वदेश पर ।। हम स्वाभिमान से जिये । राष्ट्र – रस अमॄत पियें ।। यह राष्ट्र ही तो प्राण है । मां – भारती की शान हैं ।। प्रिय राष्ट्र को कोटिश नमन। बलिदानियों का यह चमन ।। … Read More
kisan aandolan par kavita कृषक आन्दोलन का इतिहास बहुत पुराना है और विश्व के सभी भागों में अलग-अलग समय पर किसानों ने कृषि नीति में परिवर्तन करने के लिये आन्दोलन … Read More
insaan ek bulabula इन्सान -एक बुलबुला / सीताराम चौहान पथिक इन्सान —एक बुलबुला इन्सान – क्या है ? पानी का एक बुलबुला । घमंड इतना भरा , जैसे खुद हो खुदा । वक्त से डर , हे इन्सान वक्त है – शहंशाह । इसने ना जाने कितने सिकंदर फनाह किए , जिनका ना कोई निशान । इन्सान , खुद को पहचान कठपुतली है तू , है डोर से बंधा । तेरी हर हरक़त पे है उसकी नज़र , नीचे ना तू ऊपर , है बीच में टंगा ।। … Read More
rishte poetry in hindi रिश्तो पर कविता /कल्पना अवस्थी जिन रिश्तों को दिल से ना निभाया जाए फिर कभी ऐसे रिश्तों को ना बनाया जाए हर रिश्ता विश्वास की … Read More