देख लो आम के बौर को बेटियों | पुष्पा श्रीवास्तव शैली

देख लो आम के बौर को बेटियों देख लो आम के बौर को बेटियों,और पगडंडी की दूब पर बैठ लो।कूक कोयल की समझो जरा ध्यान से,आम महुए से बतियाते आराम … Read More

बदनसीबी | संपूर्णानंद मिश्र

बदनसीबी बदनसीबी जब आती हैअपना ही मुंह बिराती है बदनसीबी की मारीउस बेटी कीआंखें जब खुलीतब गंदीबस्तियां स्वागत मेंखड़ी थी उसके एक गहन अंधेरे मेंबदनसीब बच्चीभविष्य का असफलउजाला ढूंढ़ रही … Read More

अर्चना | सम्पूर्णानंद मिश्र

अर्चना | सम्पूर्णानंद मिश्र अर्चनाकीअभिव्यक्तिगूंगे के मीठे फल जैसा है जिसकारसास्वादन सिर्फ़ किया जा सकता हैवर्णन नहीं जीवन मेंउनकीअर्चना होनी चाहिए अवश्य जोत्याग के धागेऔर समर्पण की सूईसे संबंधों के … Read More

सांवले कदम | पुष्पा श्रीवास्तव शैली

सांवले कदम | पुष्पा श्रीवास्तव शैली कड़कड़ाती ठंड मेंमैंने देखा उन नन्हे नन्हे सांवलेक़दमों को प्लेटफॉर्म पर दौड़ते हुए,जो शायद सर्दी कोया हम सबको जो अपने आप को उपर से … Read More

नगरवधू | सम्पूर्णानंद मिश्र

नगरवधू आम्रपालीतुम बहुत सुंदर थीयही तुम्हारा कसूर थाइसलिएतुम्हारे सौंदर्य का पान करने के लिएवैशाली और मगध निरंतर लड़ते रहेएक बार नहींसौ बार फाड़ी गई मर्यादा की चादरपिता- पुत्र के द्वाराप्रतिद्वंद्वी … Read More

परीक्षा पर व्यंग्यात्मक कविता | Poem on Exam in Hindi – परीक्षा पर कविता

परीक्षा पर व्यंग्यात्मक कविता | Poem on Exam in Hindi – परीक्षा पर कविता परीक्षा बोर्ड परीक्षा मेंएक परीक्षार्थी ‌नकल‌करते हुए पकड़ा गया ‌बहुत रोया‌ चिल्लायाअपने तर्क सेजिला विद्यालय निरीक्षकसे … Read More

नसीहत | सम्पूर्णानंद मिश्र | हिंदी कविता

नसीहत | सम्पूर्णानंद मिश्र | हिंदी कविता पिता ने ‌पुत्र को‌नसीहत देते हुएकहा कि बेटाजिंदगी में पानी की तरहमत बहनासपाट‌ जीवन मत जीनारुकावटें आएंगीतुम्हें विचलित करजायेंगीतोड़ने ‌का प्रयास ‌किया जायेगाटूटना … Read More

सारे पथ जब बंद न्याय का | प्रतिभा इन्दु

सारे पथ जब बंद न्याय का | प्रतिभा इन्दु सारे पथ जब बंद न्याय कारण अभिशाप नहीं है ,यहां रक्त की नदियां बहतीकोरा जाप नहीं है ,मत भूलो तुम नियत … Read More

आदमी | सम्पूर्णानंद मिश्र

आदमी | सम्पूर्णानंद मिश्र आदमी आज बेचारा हैपरिस्थितियों का मारा हैमहंगाई से तंग हैसिस्टम से मोहभंग हैस्वयं से जंग हैअब जिंदगी ‌में न‌ हीकोई रंग हैन अपने अब संग हैरोज़ … Read More

रक्तचाप | सम्पूर्णानंद मिश्र

रक्तचाप | सम्पूर्णानंद मिश्र भूखका बढ़ता रक्तचापसिर्फ़शरीर के अवयव को हीनहीं नुकसान पहुंचाता हैबल्कि क्षतिग्रस्त करता हैआत्मा को भीहालांकिमुहर लगाई हैशास्त्र नेआत्मा की अमरता परलेकिनभूख की तीव्र लपटचमचमातीमहंगी गाड़ियों तक … Read More

मिलो इस बार फागुन में | रश्मि लहर

मिलो इस बार फागुन में | रश्मि लहर खिला टेसू धरा महकी मिलो इस बार फागुन में।मिलन-सुधि भी मिली बहकी, मिलो इस बार फागुन में।। हुए शाखों के रक्तिम से,कपोलों … Read More

संग हम साथ होंगे | सम्पूर्णानंद मिश्र

संग हम साथ होंगे | सम्पूर्णानंद मिश्र क्योंभाग रहे होहाथ मेरा छुड़ा रहे होमैं लेने जब आऊंगीलेकर ही जाऊंगीफिर भी भाग रहे होबाहें मेरी छुड़ा रहे होकत्ल भी करते होइल्ज़ाम … Read More

बहुत कुछ बिदा सा हो जाता माँ बाप का | श्रवण कुमार पाण्डेय पथिक

बहुत कुछ बिदा सा हो जाता माँ बाप का | श्रवण कुमार पाण्डेय पथिक बहुत कुछ बिदा सा हो जाता माँ बाप का,जिसदिन घर से ,बिदा हो जाती हैं बेटियां, … Read More

ख़ारिज करता है पिता / सम्पूर्णानंद मिश्र

ख़ारिज करता है पिता / सम्पूर्णानंद मिश्र नहीं पनपसकता लघु पौधाबरगद की छांव मेंपिताख़ारिज करता हैउक्त कथनक्योंकिस्पष्ट अंतर दिखाई देता हैपिता और बरगद मेंजहां पिताआत्मीयजन कोअपना सिरमौर बनाता हैस्नेह के … Read More

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर कविता | VISHVA HINDI DIWAS PAR KAVITA

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर कविता | VISHVA HINDI DIWAS PAR KAVITA हिंदी से पहचान हमारी,हिंदी हमको प्यारी।जय दे जय हो बोल-बोलकर,चलो बजाएँ तारी।।अँग्रेजों से लड़कर जिसने,दी हमको आजादी।एक नवल पहचान … Read More