पुष्पा श्रीवास्तव शैली की कविता | बौने स्वप्न | बुझता है दीप अंबे ज्ञान का प्रखर देखो

पुष्पा श्रीवास्तव शैली की कविता | बौने स्वप्न | बुझता है दीप अंबे ज्ञान का प्रखर देखो बौने स्वप्न हमने बोए कुछ स्वप्न,कुछ उगे,बढ़ेऔर कुछ बौने रह गए।बौने रह गए … Read More

मुसाफिर हम मुसाफिर तुम / नरेंद्र सिंह बघेल

मुसाफिर हम मुसाफिर तुम | नरेंद्र सिंह बघेल मुसाफिर हम मुसाफिर तुम ,किसी का क्या ठिकाना है ।कि खाली हाँथ आए हैं ,औ खाली हाँथ जाना है ।फकत रह जाएगीं … Read More

कब के बिछुड़े | ढूढ़ती हूं | पुष्पा श्रीवास्तव शैली

कब के बिछुड़े | ढूढ़ती हूं | पुष्पा श्रीवास्तव शैली १. कब के बिछुड़े कब के बिछुड़े आज फिर जब तुम मिले तोमोर सा मन आज फिर से नाचता है।हो … Read More

फ्रैक्चर / सम्पूर्णानंद मिश्र

फ्रैक्चर / सम्पूर्णानंद मिश्र जब विश्वास का पैरफ्रैक्चर होता हैतो नहीं ठीक होता है जल्दीबहुत समय लगता हैइसको फिर से खड़ा होने मेंक्योंकिजब यह खड़ा होता हैधीमी चालचलता हैतोअविश्वास के … Read More

मत ढूंढ़ों मुझे / सम्पूर्णानंद मिश्र | Sampurnanand Mishra Poems in Hindi

मत ढूंढ़ों मुझे / सम्पूर्णानंद मिश्र नहीं हूं वहां मैंजहां ढूंढ़ा जा रहा है मुझेथा कभी वहां मैंउस दालान मेंबूढ़े बाबा के पासजहां इंसान पनही से नहींअपने आचरण से जोखा … Read More

सफर / वेदिका श्रीवास्तव नेहा | Vedika Srivastava New Poetry

सफर निकले हैं सफर पे तो रुकना भी ज़रूरी है ,मिलेंगे कई चेहरों से ,मिलना भी ज़रूरी है | साथ दे हर मुसाफिर,हर मुसाफिर का यहाँ कैसे !मंजिल अलग है … Read More

मेरा मैं / आशा शैली

मेरा मैं / आशा शैली कभी-कभी मन करता हैचलो कुछ बड़ी पापड़ बना लूँ कुछ अचार डाल लूँखट्टा-मीठाया कुछ कपड़े ही सी लूँबहुत हो गयालिखना-पढ़नाकविताओं-कहानियों को गढ़ना थोड़ी देर के … Read More

तनहाई / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

तनहाई / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ तनहाई में शीशे जैसा,दिल नहीं टूटने वाला। तनहाई में याद तुम्हारी , मेरा साथ निभा जाती है,तुम भी पूछो तनहाई से,कैसे क्या बतला जाती है।1। … Read More

आंसू भर रोए | विश्वास तेरी प्रीत का | प्रतिभा इन्दु

आंसू भर रोए…………….. जितना ही खो कर पाया हैउतना ही पाकर खो डाला !दरवाजे पर हंस लेते हैंआंगन में आंसू भर रोए ! आवाजें जो बंद कैद मेंपुनः लौटकर आ … Read More

पलायन | दर्पण | Hindi kavita | अभिमन्यु पाल आलोचक

पलायन | दर्पण | Hindi kavita | अभिमन्यु पाल आलोचक 1. पलायन मैं छोंड़ आया वो शांत गाँवमुझको शहरों का शोर पसंद है। स्मृति के चित्र चित पर छपकरपीड़ित मन … Read More

सखी नदिया की रेत तपे / आशा शैली

सखी नदिया की रेत तपे / आशा शैली सखी नदिया की रेत तपेप्रीत निगोड़ी सुनहु सखी,मरने ना जीने देसखी नदिया की रेत तपे जाने कब घन गगन घिरेकब साजन घर … Read More

आ जाओ गौरैया | डॉ सम्पूर्णानंद मिश्र

आ जाओ गौरैया | डॉ सम्पूर्णानंद मिश्र आ जाओ गौरैया आ जाओ गौरैया रानीफुदकती हुई मेरे छत परचीं चीं चूं चूं का स्वरमेरे सहन में बिखरा जाओतुम कैसी हो ?कहां … Read More

होली | तोमर छंद | बाबा कल्पनेश

होली | तोमर छंद | बाबा कल्पनेश होली विधा-तोमर छंद कर होलिका का दाह।कह कौन करता आह।।प्रह्लाद जपता राम।पाता जगत विश्राम।। तब ही मनाते सर्व।हर वर्ष होली पर्व।।रे मूढ़ मन … Read More

मीत बनायें होली में | होली सम्बन्धी दोहे | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

मीत बनायें होली में | होली सम्बन्धी दोहे | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ मीत बनायें होली में मनभावन रंग गुलाल,उड़े अब होली में,नित ऑचल नेह फुहार,पड़े अब होली में।सद्भाव विकास की,गंग-तरंग … Read More