युद्ध | Yudh par kavita

युद्ध छंटे नहीं हैंयुद्ध के पर्जन्य अभीविनाश के अवशेषछटपटा रहे हैंहथियारों के गर्भ सेप्रसूत होने के लिएअधिनायकवादी और जनतांत्रिक विचारधाराओं केबीच चल रहा है यह युद्धनहीं स्वीकार हैऊंचा हो कोई … Read More

बहुरंगी भेड़िए / संपूर्णानंद मिश्र

बहुरंगी भेड़िए / संपूर्णानंद मिश्र ऊपर से साफ़- सुथरी हैयह सतरंगी दुनियाभीतर कुछ धुंधला, अस्पष्टसंघर्ष ही संघर्षकुछ खास उनके लिए जोनेपोटिज्म की सूईअपनी बांहों में गोदवाए बिनामाला- फूल अक्षतरोली चढ़ाएं … Read More

बसंत पंचमी पर कविता | POEM ON BASANT PANCHAMI IN HINDI

बसंत पंचमी पर कविता | POEM ON BASANT PANCHAMI IN HINDI बसन्त पंचमी के पावन अवसर पर,लोक कल्याण की कामना से मॉ शारदे के श्री चरणों में सादर समर्पित भाव-सुमन:- … Read More

हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ का रचना संसार | भरत-भूमि की जय-जय-जय हो

१. भरत-भूमि की जय-जय-जय हो। आओ आज धरा पर लिख दें,मिल कर नयी कहानी ,भरत-भूमि की जय जय जय हो,हर सन्ध्या भोर सुहानी।टेक। चलें सुपथ पर साथ सभी के,सबके हित … Read More

श्रवण कुमार पांडेय की रचनाएँ | Compositions of Shravan Kumar Pandey

श्रवण कुमार पांडेय की रचनाएँ | Compositions of Shravan Kumar Pandey भक्तजनों को खलेगा कथ्य,अनाथ पुत्री थीं जानकी सीता,,,,01 साक्ष्य जीवन्त जनश्रुति में,खेत से ही प्राप्त हुई थी सीता,,,,02 त्याज्यता … Read More

स्वाभिमानी महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर कविता

स्वाभिमानी महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर कविता है स्वाभिमान के दिव्य पुंज ,शत-शत प्रणाम हम करते हैं।हे राम, प्रताप को लौटा दो ,दिन- रात प्रार्थना करते हैं । तुम भीष्म … Read More

कोरोनावायरस और भारत | एस आर चौहान पथिक

कोरोनावायरस और भारत कोरोनावायरस को देखो ,रूप बदल कर आता ।नये – नये प्रारूप देख कर ,विज्ञान- तन्त्र चकराता ।। अनेक विश्व सरकारें हतप्रभ ,अंकुश अनेक जनता पर लादे प्रतिबंधों … Read More

मात शारदे इस बसंत में ऐसा वर दो / श्रीमती पुष्पा श्रीवास्तव

मात शारदे इस बसंत में ऐसा वर दो / श्रीमती पुष्पा श्रीवास्तव मात शारदे इस बसंत में ऐसा वर दो,कलुषित मन को मात मेरे तुम निर्मल कर दो। फिर लिखवा … Read More

हिन्दी अपनी शान बनेगी | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

विश्व हिन्दी दिवस पर सादर समीक्षार्थ हिन्दी अपनी शान बनेगी आओ नव अभियान चलायें,सहज मान-सम्मान बढ़ायें ।हम हिन्दी,हिन्दू,हिन्दुस्तान-विश्व पटल पर अलख जगायें।1। हिन्दी की हर बात निराली,हॅसते होंठो की यह … Read More

विश्व हिन्दी दिवस पर कविता

विश्व हिन्दी दिवस विश्व हिन्दी दिवस की ,शत-शत बधाई आपको ।विश्व- पट हिंदी सुशोभित ,शत-शत बधाई आपको ।। परदेस में बैठे हमारे ,भारतीयों को सलाम ।जिनके दम पर हिंदी शोभित,उन … Read More

तब और अब / सीताराम चौहान पथिक

तब और अब कहां गया वो वक्त सुनहरा,कहां गए हमजोली प्यारे ।दादी नानी से रोज़ कहानी ,गुल्ली डंडा सड़क किनारे । चूल्हे पर भोजन बनता था,मां के हाथों में जादू … Read More

सऺदेशा बादलों से | सीताराम चौहान पथिक

सऺदेशा बादलों से मौन मन की पीड़ा को ,शब्द मिल गये ।फड़फड़ाते पऺछी को ,पऺख मिल गये ।लावा सुलग रहा था ,ज्वालामुखी में जो ।जून आते-आते ,नदियों से बह गए … Read More

चुप्पियां | सम्पूर्णानन्द मिश्र | Chuppiyan

चुप्पियां | सम्पूर्णानन्द मिश्र | Chuppiyan चुप्पियां टूटनी चाहिएचुप्पियां वक़्त परताकि जल न जायझूठ की आंच पर सत्य की रोटीमानाकिचुकानी पड़ती हैएक बहुत कीमतचुप्पियों को बोलने कीलेकिन तोड़ने से इस … Read More

कहां पर छिपी हो | Kaha par chipi ho

कहां पर छिपी हो | Kaha par chipi ho सूफीवाद पर आधारित कविता, जहां नारी को ब्रह्म तथा पुरुष को साधक माना गया है। कहां पर छिपी हो बताओ प्रिये … Read More

सुर्खुरूॅ होने में, वक्त लगता है | सजल | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘ हरीश’

सुर्खुरूॅ होने में, वक्त लगता है | सजल | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘ हरीश’ सुर्खुरूॅ होने में, वक्त लगता है। सिलसिला यादों का ,चलने दीजिए,ख्वाब सा ख्यालों में, रहने दीजिए।1। मैं … Read More